बुधवार, 12 सितंबर 2018

विनायक- वंदना

विनायक- वंदना--गिरधरदान रतनू दासोड़ी
गीत -जांगड़ो
व्हालो  ओ पूत बीसहथ वाल़ो,
दूंधाल़ो जग दाखै।
फरसो करां धरै फरहरतो,
रीस विघन पर राखै।।१

उगती जुगती हाथ अमामी,
नामी नाथ निराल़ो।
भगतां काज सुधारण भामी,
जामी  जगत जोराल़ो।।२

आगैडाल़ पूजवै अवनी,
सार संभाल़ सचाल़ो।
सिमरै बाल़  स्हायक बणनै,
विणसै दुख विरदाल़ो।।३

परचंड पिंड बडाल़ो पेटड़,
स़ूंड लटकती  सामी। वरदायक माल़ गल़ै वैंजति,
नायक गण घणनामी।।४

बुध रो बगसणहार वदीजै,
काम  अनोखा कोटी।
मुरलोकां सिरताज मुणीजै,
महल़ दोउं घर मोटी।।५

रणतभंवर तणो बड राजा,
शंकर कंवर सुणीजै।
ढिग जग सारो चँवर ढोल़वै,
प्रभता प्रात पुणीजै।।६

आखू तणी चढै असवारी,
भल मन मोदक भावै।
शस्त्रां  करां  अरि -दल़ साजै
अबढी विरियां आवै।।७

एको रदन  ऊजल़ै अंगां,
लाभ शुभां रो लेखो.
आगर ग्यान तणो अन्नदाता,
प्रीत निजर निज पेखो।।८

वेदव्यास    तणी सुण विणती,
अमी दीठ भर आयो।
भारत- महा कियो सिग भूमि,
बड कज सहज बणायो।।९

जन रो देव जगत सह जाणै,
नित उठ नाक नमावै।
उर में दया जिणां रै ऊपर,
देव आवै हर दावै।।१०

गणपत  तणी सरण गिरधारी,
धरण ऊपरै धारी।
हरण विघन दास हरसाजै,
सुकवी कारज सारी।।११
आप सगल़ां नै गणेश चौथ री हार्दिक शुभकामनावां।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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