करनी रू कथनी में रह्यो तूं अभेद सदा,
होय के निशंक कियो निकलंक काम को।
कदाचार त्याग सदाचार अनुराग माग,
सत्य पे अडग रह्यो थिर प्रात शाम को।
नीति हूं से प्रीति बहु देश दिल जीति लियो,
झुरे आज सबै लालबहादुर नाम को।
कबै झुक्यो नहीं अवरोधन से रुक्यो नहीं,
वारै ऊ गीध शास्त्री पे कोटीश सलाम को।।
प्रातः स्मरणीय स्व. प्रधानमंत्री लालबहादुरजी शास्त्री के चरणों में उनकी जयंती पर सादर वंदन।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
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