"उठो जसवंत....,
तुम्हें, भट्याणी जसोल पुकार रही,
उठो जसवंत.....,
तुम्हें, मालाणी की धरा पुकार रही,
सो गए तुम निश्चित होकर, चले गए वो राम, जिनके तुम थे हनुमान,
मालाणी की है पुकार, अब जग चूका है स्वाभिमान,
उठो जसवंत ...,
आज़ादी और अर्थ की चोट हमने झेली है,
..मगर अब अहम् पर वज़्रपात भारी है,
उठो जसवंत ...,
तुम्हे अब मालाणी पुकार रही है,
तुमने राष्ट्र का अभिमान- स्वाभिमान और अरमान बढ़ाया था,
....मगर, हमने तुम्हे मिटाने कीर्तिमान बनाया है,
अब उठ जाओ जसवंत,
सोवो मत अब, मत रूठो, उसे उठा दो,
..उसे बुला दो, हमे जगा दो, जिसे मालाणी पुकार रही,
..............अब उठो जसवंत"..
साभार : स्वरूप सिंह चामू ।
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शुक्रवार, 31 अगस्त 2018
उठो जसवंत....
मंगलवार, 21 अगस्त 2018
अजी उठ ज्यावो
पत्नी :- अजी उठ ज्यावो, मैं रोटी बणाउ हुँ l
पति :- तो, मैं कुणसो तुवा पर सूत्यो हूं!!!!
मंगलवार, 7 अगस्त 2018
बीकानेरी हाज़िर जवाबी
ठाकर साहब *जोधपुर* सु अपने भतीजे के शादी के लिए *बीकानेर* पहुचे..
ठाकर साहब दो दिन से देख रहे थे कि रोज दावत में उनको खाने मे अंडे ही दिए गए..
..सो तीसरे दिन उनका सब्र टूट गया और उन्होंने अपने सागो सा से पूछ ही लिया..:
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हुकम , ये अंडे तो अपनी जगह ठीक हैं, पर इनके दाता हुकम कहाँ हैं..!
...उनसे भी मुलाक़ात कराईये..!!
*ये होती है जोधपुरी तहजीब*
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. बीकानेरी सगो सा ने कहा हुकम ओ बिना माईता रो हैं।
*ये होता बीकानेरी हाज़िर जवाबी
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