सोमवार, 11 दिसंबर 2017

जयमल जी राठौड रा मरसिया

महाराणा प्रताप के शस्त्र  गुरू व हमारे पूर्वज मेड़ता के राजा जयमल जी राठौड़ पर पचास दोहे बनाकर समर्पित कर हुं हुकुम । पसन्द आये तो शेयर करना ।
04--12--2017(ये भाषा राजस्थानी हैं)
लेखन:--कवि महेन्द्र सिंह राठौड़ जाखली
(1)
धरती  मेवाडी़  जठे , घणो  हुयो   घमशाण
खून  सूं   धरा  सींचदी , थारे   पगंला  पाण
(2)
अजी   शीश   दे  भौमने, ऐडो   है   रजपूत
जणै  जबर  आ  मावडी़ , न्यौछावर है  पूत
(3)
जयमल लड़ियो जोरको,चार भुजा भगवान
लड़ लड़ के  धड़ पोढ़गा, चितौड़  रे  मैदान
(4)
मेवाड़   री   पुकार  पर , आयो  मैं  तो  दौड़
पहुँचगो  प्रताप  कनै , जयमल  जी   राठौड़
(5)
मेवाड़  मान  राखियो ,सिंहा  कुल  रो  आज
नीचो  न   देखणो  पडे़,  ऊँचो   है   सरताज
(6)
हाथी  रो  सिर  काटतो ,जयमल  जी  राठौड़
बाँसू   कांपे   दूसमी , देख   मुँछ    रो  मरौड़
(7)
जयमल   जैडी   वीरता , बणगी  रे  इतिहास
महाराणा  प्रताप  को , गुरू   हो   ओ  खास
(8)
परमवीर  जद  मारतो,  जबर  करतो  दहाड़
बेरी    ऊबो   कांपताे ,  बे    गुजंता    पहाड़
(9)
जयमल  वीर   शिरोमणी,  मेड़तियो  सरदार
सजधज   जोराँ   ओपतो,  मेवाड'र   दरबार
(10)
रण  कौशल  रो  पारखी, युद्ध  धरा  रो  ज्ञान
जयमल  जी   तो  राखियो,  मेवाडी  सम्मान
(11)
जबरी   थारी   मावडी़,  जबरो  जण्यो  जौध
बब्बर  सिंह  ओ  जोरको , जोराँ  थारा क्रोध
(12)
राणोजी    तो    मानतो , थारी    सारी   बात
सेनापति  थों    जोरको ,   देतो  सबने   मात
(13)
मेवाड़   मान    वासते ,   करियो'र   बलीदान
धरती   मां'न   शीश दियो, म्हाने  हैं अभिमान
(14)
थे    ही    राखी  आबरू  , राठौडा़   रो  मान
गजब  दिखाई   वीरता  ,नहीं  सयो  अपमान
(15)
धाकड़  धाक'र  आपरी, मोटा  करिया  काम
दुश्मन  सुतो  ओझतो,  जयमल  जी  रे  नाम
(16)
मारवाड़   ही   मोकळी,   गावे   थारा    गान
तु  ही राखी जयमलजी, आन बान आ  शान
(17)
साचो    सपूत    मानियो    ,मेवाडी    दरबार
गढ़  चितौड़ी  सौप  दियो, दियो रक्षा  रो भार
(18)
थे  तो  करियो  सामनो , छाती   लीनी   ताण
जबरो  जायो  सिंहणी , लड़ता  त्याग्या प्राण
(19)
दुध  नी  लजायो  जयमल,  मेड़तियो  दातार
चार  भुजाँ'राे  भगत ओ, नामी  करियो कार
(20)
कट कट के  शीश  सामने, लाग्या  रे  अम्बार
कण  कण  बोले  मां धरा, घणो दियो रे प्यार
(21)
रज   में   नपजे   मावडी़ ,  थारे  तो  रणवीर
काटताँ   ही   बढ़े   घणो , ऐ   राजपूत  बीर
(22)
अम्बर  सू  तो  आवता, जद  करता अरदास
दोडे़    आता     देवता ,  रजपूताँ    रे   पास
(23)
धरम  बचावण   जावतो, क्षत्रिय  ओढ़  पीर
राज  धरम   की  पालना,  करता  यौद्धावीर
(24)
जब जब आयी आफताँ, रिया  बीच बाजार
पीठ  नह   दिखाई   कदै,  राजपूत   सरदार
(25)
कटिया शीश धड़ लड़िया, ऐडी़  ही आ रीत
समर'म   बेरी   कांपतो, होती   वीराँ   जीत
(26)
जग  में   हुई'र   कीरती ,  मेड़तियो  रे  लार
काकाे  भतीज  सांवठो, उतार  दियो'र  भार
(27)
कल्ला के कँधे  बैठियो , जयमल ओ  राठौड़
दोनों  दुसमी   मारिया ,लियो  बैरी  राे  औड़
(28)
लागे  लड़तो  ओ  इयां, चार भुजा  रो   नाथ
जग में घणो नाम किधो  काको भतीज साथ
(29)
ब'जद  करेलाँ   सामनो , दूँला  फीच्चाँ  काट
बैरी   धरती   चाटसी, खडी़   हुसी  रे   खाट
(30)
हुयो   रवाना   जापतो ,  मारवाड   री  फौज
चितौड़  मान  बचावण'न, करी  ने  कदै मौज
(31)
कुल देवी  की  आरती ,नमन  करू कर जोड़
साथ  दिजै  थौ  मावडी़, बढ़गो अबके  झौड़
(32)
काली  माता   चांमुडा , आवो  थे   तो   साथ
झगडो़  होसी  जोरको  ,कर  सूं  दो  दो  हाथ
(33)
परतख  धरती   होवसी,  होवेली   आ   लाल
युद्ध  धरा  में  सायना , सब  खैलसी  गुलाल
(34)
खड़गाँ  झन  झन  बाजसी, बाजेली आ  मार
खचक खचक आ काटसी, नाडा़ँ सबकी जार
(35)
चितौड़   साय  मेड़तो  , करै   घणो   रे  युद्ध
जोधा   जबरा    जोरका,  टूटे     ना    प्रभुद्ध
(36)
के   मरणो   या  मारणो, ओ   हो  तो  आदेश
मां  रो   मान   बचावणो, ओ   ही   है  सन्देश
(37)
यौद्धा  समर'म  जावता , करता  घणी'र  राड़
मरता   पर   हटता   नहीं,  झंडो    देता  गाड़
(38)
नारियां  समर  भेजती ,  हो   चाहे    नुकसान
नर  की  करती  आरती ,राख  खड़ग री शान
(39)
हाथ  सू  आप   देवती , पकडो़   थे   शमशीर
बेरी  पर  टूट  पड़  ज्यो,  बीनै    दिज्यो  चीर
(40)
र'महेन्द्र  सिंह   जाखली,   गावै   थारा   गान
जयमल   वीर   शिरोमणी,   हीरो  हिन्दूस्थान
(41)
राणा  को  शस्त्र  गुरू,  जयमल  जी  राठौड़
जबर   पढा़यो   भूपने, सबसू   ओ   बेजौड़
(42)
चुणतो  गढ़  की  पाळने, करियो  नी  आराम
शोर्य   वीर   तो   कामसू , देतो   ऐडी़   खाम
(43)
ठाडो शरीर रो ओ धणी, करतो तकडो़ काम
चितौड़ गढ़'न  रोजिना, चीणतो सुबह  साम
(44)
रोजाना    ही    दूसमी ,   र'तोड़ता    दिवार 
चुणतो   रात्यू   रात   में , करतो   ऐडो़   कार
(45)
एक  जोद्धाे   मारताे , दस दस   एक व साथ
ऐडा़  गजब  पराक्रमी, पटके  भरभर   बाथ
(46)
महा    राणा'र     राजमें , सेनापति     राठौड़
कमधज   जयमल  नामची, माथा  हंदो  मौड़
(47)
राज  काज  ओजाणतो ,करतो चोखो  काम
शानदार   तो   पैठ  ही,बोहत   बढ़िया   नाम
(48)
हिण  हिण करता  रण  में ,घौडा़ जाता  दौड़़
साफाे  कलडो  बांधके, जबरो  करता  झौड़
(49)
सीधो  समर  में  न  पडे़, ह वीराँ   री  मरौड़
झगडो़    सामौ    लेवता , रणबंका   राठौड़
(50)
प्रण    निभायो    जयमल, मेवाड़'र   दरबार
कटियो पर हटियो नहीं, शीश  दियो  सरदार

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