रविवार, 16 सितंबर 2018

रंग रा  दूहा

रंग रा  दूहा
जननी कुख धन जनमिया दुनिया वीर दातार ।।
डोढ़ा रंग तिण दिजिये , सुयश लिया संसार ।।1।।

शिर पड़ियां लड़िया सरस , दीना निज शिर दान ।।
राजन उण रंग दिजिये , जस तिण अमर जहान ।।2।।

कश्यप स्वाम्भुव भूप कहाँ , ऊजल बिरद अनूप ।।
तपसी राजन रंग तिहि , भया आर्यव्रत भूप ।।3।।

अर्क चंद्र अरु ऋषि अगन , समरथ भूप सुजान ।।
वंदिये रंग सह विश्व में , वंश तांहि विद्यमान ।।4।।

सम्पत राज समपे सर्व , भयो नृपत भीखंग ।।
अमूल्य वचन राख्यो अडग , राजा हरिचंद रंग ।।5।।

तपधारी कुळ तारवा , गिर से लायो गंग ।।
अमलां वेळा आपने , राजा भगीरथ रंग ।।6।।

जाचया हाड जोगी तणा , सरव देव मिल संग ।।
दिया हाड कट दान में , रिसीवर दधिचि रंग ।।7।।

भगवन्त निज भिक्षुक भये , निरख दता नवडंग ।।
निश्चय सत चुकयो नहीं , राजा बली ज रंग ।।8।।

नीति धरम निभाड़णो , छेदयो मांस छुरंग ।।
शरणागत सुंपयो नहीं , राज शिबी घण रंग ।।9।।

अहो भाग्यवर अवधपत , अति बळ युद्ध अभंग ।।
पुत्र राम त्रयलोक पत , राजा दशरथ रंग ।।10।।

सांम अवध सेना सघन , सहोदर लक्ष्मण संग ।।
बिहड़यो दशकंधर बली , राम प्रभु घण रंग ।।11।।

प्रचंड सेन बळ पराक्रमी , तोड़ण मद तरसंग ।।
भूप आर्यव्रत भूमि रा , राजा यदु घण रंग ।।12।।

दीन वत्सल दुष्टां दळण , जय कर  पांडव जंग ।।
चीर द्रोपदी सिर चढ़ण , राजा कृष्ण रंग ।।13।।

अवनी ऊपर अवतरे , श्री कृष्ण के संग ।।
हलधर भट दुष्टों हणे , रोज दियां तिण रंग ।।14।।

सतवादी पांडु सतन , सहे कष्ट तन संग ।।
नीति धरम त्यागयो नहीं , राज युधिष्ठर रंग ।।15।

नीति न्याय ज्ञानी नृपत , बायुस युद्ध बलिबन्ड ।।
दुंणा रंग तिहि दीजिये , पराक्रम भीष्म प्रचंड ।।16।।

संत शिरोमणि सज्जन चित , राम भजन दिल रंग ।।
विमल नीतिवत विदुरजी , रोज दियां घण रंग ।।17।।

सुर दाता दिनकर सुतन , जोधो असाध्य जंग ।।
दत सुवर्ण वांटयो दुनि , राजा करण ज रंग ।।18।।


बुधवार, 12 सितंबर 2018

विनायक- वंदना

विनायक- वंदना--गिरधरदान रतनू दासोड़ी
गीत -जांगड़ो
व्हालो  ओ पूत बीसहथ वाल़ो,
दूंधाल़ो जग दाखै।
फरसो करां धरै फरहरतो,
रीस विघन पर राखै।।१

उगती जुगती हाथ अमामी,
नामी नाथ निराल़ो।
भगतां काज सुधारण भामी,
जामी  जगत जोराल़ो।।२

आगैडाल़ पूजवै अवनी,
सार संभाल़ सचाल़ो।
सिमरै बाल़  स्हायक बणनै,
विणसै दुख विरदाल़ो।।३

परचंड पिंड बडाल़ो पेटड़,
स़ूंड लटकती  सामी। वरदायक माल़ गल़ै वैंजति,
नायक गण घणनामी।।४

बुध रो बगसणहार वदीजै,
काम  अनोखा कोटी।
मुरलोकां सिरताज मुणीजै,
महल़ दोउं घर मोटी।।५

रणतभंवर तणो बड राजा,
शंकर कंवर सुणीजै।
ढिग जग सारो चँवर ढोल़वै,
प्रभता प्रात पुणीजै।।६

आखू तणी चढै असवारी,
भल मन मोदक भावै।
शस्त्रां  करां  अरि -दल़ साजै
अबढी विरियां आवै।।७

एको रदन  ऊजल़ै अंगां,
लाभ शुभां रो लेखो.
आगर ग्यान तणो अन्नदाता,
प्रीत निजर निज पेखो।।८

वेदव्यास    तणी सुण विणती,
अमी दीठ भर आयो।
भारत- महा कियो सिग भूमि,
बड कज सहज बणायो।।९

जन रो देव जगत सह जाणै,
नित उठ नाक नमावै।
उर में दया जिणां रै ऊपर,
देव आवै हर दावै।।१०

गणपत  तणी सरण गिरधारी,
धरण ऊपरै धारी।
हरण विघन दास हरसाजै,
सुकवी कारज सारी।।११
आप सगल़ां नै गणेश चौथ री हार्दिक शुभकामनावां।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी