शनिवार, 31 मार्च 2018

आऊवा के चारण सत्याग्रही

*आऊवा के सभी *चारण* *सत्याग्रहियों को सादर नमन।* नमन
*गोपाल़दासजी चांपावत* को जिन्होंने इन *सत्य के पुजारियों* के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया।
नमन उनके *ढोली गोविंद* को जिन्हें यह काम सौंपा गया था कि वो बड़ पर बैठ जाए और सूर्य की प्रथम किरण के साथ ढोल पर डाका दें,और
उसी आवाज के साथ सभी सत्याग्रही अपने गले में कटार पहनकर जोधपुर राजा उदयसिंह के अत्याचारों का प्रतिकार करते हुए प्राणांत करेंगे।
*गोविंद* की संवेदना जागी कि मेरे एक ढोल के डाके के साथ यहां उपस्थित सभी वृद्ध, युवा,तरुण व किशोर वय एक साथ अपने प्राण त्यागेंगे !!और मैं निर्मोही यह मृत्यु रम्मत देखूंगा!!नहीं, मैं इतना निष्ठुर नहीं हूं !!क्यों नहीं सूर्य की पहली किरण के साथ इनसे पहले ही मृत्यु का वरण कर धरण पर अमरता का भागी बनूं।
उस मोटमन ने निस्वार्थ भाव से केवल इसलिए प्राण दे दिए कि ऐसे त्यागी पुरुषों का मरण मैं देख नहीं पाऊंगा।
धन्य है *गोविंद ढोली* जिसने चारणों के लिए अपने प्राण प्रतमाल़ी में पिरोकर त्याग दिए।
*कृतज्ञ चारणों* ने लिखा -
*मुवो सारां मोर*
*दाद ढोली नै दीजै।*(खीमाजी आसिया)
लेकिन हमने हमारी उदात्त मानसिकता को त्यागकर इसी पंक्ति में संशोधन करके  लिखा-
*सिरै मुवो सामोर*
*दाद ढोलां सूं दीजै।।*
जोकि मूल छप्पयों में कहीं नहीं है। मैं  व्यक्तिगत रूप ऐसी मानसिकता को कतई उचित नहीं मानता।
उस  पुण्यात्मा को कुछ शब्द सुमन मैंने समर्पित किए हैं ।जो आपसे साझा कर रहा हूं।
*गीत गोविंद ढोली रो*-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
कमंध जोधांण रो उदैसिंह कोपियो,
लोप मरजाद री थपी लीकां।
खडगबल़ चारणां नेस कर खालसै,
सताया सिटल़पण मांन सीखां।।1

महिपत उदैसिंघ करी जद मनाही,
कमँध जद बिजोड़ा हुकम कांपै।
प्रीत गोपाल़ की उवै दिन पातवां,
चाढ हद भ्रगुटी सधर चांपै।।2

बांहबल़ जितैतक सास वल़ बदन में,
उतैतक चारणां खड़ो आडो।
मुवां गोपाल़ नै हुवै मुर दीहड़ा,
गाढ जद अणाजै भूप गाढो।।3

अणाया पात गोपाल़ जद आऊवै,
भाल़ भड़ अड़ीखंभ हुवो भीरी।
चारणां मरण में प्रीतधर चोल़चख ,
सनातन कारणै हुवो सीरी।।4

ऊभियो आप ले सुतन धिन आठही,
डकर जोधांण नै देय देखो।
धिन पाल मांडणहर हुवो धिन धरा पर,
पौरायत पातवां आप पेखो।।5

तेवड़  धरणो भांणवां मरण ई तेवड़ियो,
करण अदभूत मजबूत कामा।
लाज स्वाभिमान रै  लाल कर लोयणां
सरग दिस हालवा बैय सामा।6

बजंदरी पाल रो वडो बजरागियो,
ईहग अनुरागियो उठै आयो।
जमर थल़ देखनै जोस उर जागियो,
गोविंद बडभागियो गलां गायो।।7

मिहिर री उगाल़ी सज्या कव मरण नै,
धरण पर  रखण जसनाम धाको।
बिठायो ढोल दे गोम नै विरछ पर
दुरस वो समैसर दैण डाको।।8

अंतस में करुणा  गोम रै ऊपड़ी,
ढमंको बाजँतां साच ढोलां।
पहरसी विदग सह गल़ै प्रतमाल़का,
बात उजवाल़सी आप बोलां।।9

ऊजल़ै नरां रो मरण मो ईश्वर,
दिखाजै लोयणां मती  दाता।
ऐहड़ी गोमंदै सोच चित ऊजल़ै,
रढाल़ै गल़ै की नैण राता।।10

पातवां काज दे प्राण प्रतपाल़ियै,
खरैखर  सुजस री हाट खोली।
दुथियां तणो वो मरण नीं देखवा
ढोल रो ढमंको तज्यो ढोली।।11

दुनी में लियो जस लूट धिन दमामी,
कियो धिन अमामी बडम काजा।
सरग पथ बहियो गोविंदो सुनामी,
बजायर कीरति तणा बाजा।।12

गुणी धिन हुवो धर ऊपरै गोमंदा,
जांणियो ईहगां इल़ा जोतां।
पेख वो कमाई तणो फल़ पाकियो,
पांमियो आदरं गोविंदपोतां।।13

पहल वो सारां सूं मरण तैं पांमियो,
मानियो पातवां गुणी मांटी।
वोम धर जितैतक गोम री वल़ोवल़
चहुंवल़ रहेला अमर अजै चांटी।।14

कांमेसर शंभु रै आगल़ै कवेसर,
धिनो धाराल़ियां गात धारी।
खल़कियो रगत परनाल बण खल़हलै,
साख दुनियांण आ अजै सारी।।15

आंटीलै भड़ां री धरा धिन आऊवो,
मोटमन मारका हता मांटी।
टकर जोधांण नै दिवी हद टणकपण,
अड़्यां फिरंगांण सूं देय आंटी।।16
गिरधरदान रतनू  दासोड़ी

शुक्रवार, 30 मार्च 2018

राजस्थान चालीसा

राजस्थान चालीसा
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उत्तर देख्यो दिख्खणं देख्यो देश दिसावर सारा देख्या, पणं
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।

रणबंका सिरदार अठै है।
मोटा साहूकार अठै है।
तीखोडी तलवार अठै है।
भालां री भणकार अठै है।
साफा छुणगादार अठै है।
नितरा तीज तिंवार अठै है।
बाजर मोठ जंवार अठै है।
मीठोडी मनवार अठै है।
अन धन रा भंडार अठै है।
दानी अर दातार अठै है।
कामणगारी नार अठै है।
मुंछ्यांला मोट्यार अठै है।
पो पाटी परभात अठै है।
तारां छाई रात अठै है।
अर,तेजो तो गावे है करसा खेत में।
हीरा तो चमके है
--------------------।

झीणो जैसलमेर अठै है।
बांको बीकानेर अठै है।
जोधाणों जालोर अठे है ।
अलवर अर आमेर अठै है।
सिवाणों सांचोर अठै है।
जैपर सांगानेर अठै है।
रुडो रणथंबोर अठै है।
भरतपुर नागौर अठै है।
उदयापुर मेवाड अठै है।
मोटो गढ चित्तोड अठै है।
झुंझनूं सीकर शहर अठै है।
कोटा पाटणं फेर अठै है।
आबू अर अजमेर अठै है।
छोटा मोटा फेर अठै है।
अर,डूगरपुर सुहाणों वागड देस में।
हीरा तो चमके है
-------------------।

पाणीं री पणिहार अठै है।
तीजां तणां तिंवार अठै है।
रुपलडी गणगौर अठै है।
सारस कुरजां मोर अठै है।
पायल री झणकार अठै है।
चुडलां री खणकार अठै है।
अलगोजां री तान अठै है।
घूंघट में मुसकान अठै है।
खमां घणीं रो मान अठै है।
मिनखां री पहचाण अठै है।
मिनखां में भगवान अठै है।
घर आया मेहमान अठै है।
मीठी बोली मान अठै है।
दया धरम अर दान अठै है।
अर मनडा तो रंगियोडा मीठा हेत में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा भलके है म्हारा देस में।
    --------------------------।
गौरी पुत्र गणेश अठै है।
मीरां बाई रो देश अठै है।
मोटो पुष्कर धाम अठै है।
सालासर हनुमान अठै है।
रूणीचे रा राम अठै है।
गलता तीरथ धाम अठै है।
महावीर भगवान अठै है।
खाटू वाला श्याम अठै है।
चारभुजा श्रीनाथ अठै है।
मेंहदीपुर हनुमान अठै है।
दधिमती री गोठ अठै है।
रणचंडी तन्नोट अठै है।
करणी मां रो नांव अठै है।
डिग्गीपुरी कल्याण अठै है।
गोगाजी रा थान अठै है।
सेवा भगती ग्यान अठै है।
अर कितरो तो बखाणूं मरुधर देस नें।
हीरा तो चमके है
-------------------------।

जौहर रा सैनाणं अठै है।
गढ किला मैदान अठै है।
हरिया भरिया खेत अठै है।
मुखमल जेडी रेत अठै है।
मकराणा री खान अठै है।
मेहनतकश इंशान अठै है।
पगडी री पहचाणं अठै है।
ऊंटां सज्या पिलाणं अठै है।
चिरमी घूमर गैर अठै है।
मेला च्यारूंमेर अठै है।
सीधी सादी चाल अठै है।
गीतां में भी गाल अठै है।
सीमाडे री बाड अठै है।
बेरयां रा शमशाणं अठै है।
तिवाडी रो देश अठै है।
ऐडी धरती फेर कठै है ।
साची केवूं झूठ कठै है ।
समझौ तो बैंकूठ अठै है।
अर आवो नीं पधारो म्हारा देश में।
हीरा तो चमके है बालू रेत में।
मोतीडा झलके है म्हारा देश में।

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महकती   धोरो  की  धरती.....

राजस्थान दिवस पर समर्पित

महेन्द्र सिंह राठौड़ जाखली कृत

महकती   धोरो  की  धरती,  काेई   आये   शैलानी
स्वागत   करे  राजस्थानी , राजस्थानी, राजस्थानी
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हिन्वा  सूरज राणा  प्रताप ,कभी  नहीं  हार  मानी
दुश्मन  की  छाती  पे  चढ़ा, घाेड़ा  चेतक  मस्तानी
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अभेदगढ़  चितौड़   का , कहता   अपनी   कहानी
अस्सी  घाव  लगे  सांगा  के,   जंग   लडी़  मैदानी
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पृथ्वीराज   चाैहान   तेरी , कमाल    तीर   निशानी
गौरी  के  तीर  मारा , करदी   छाती   की   छलनी
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दुर्गादास  राठाैड़  जैसा,  काेई   नहीं   स्वाभीमानी
युद्ध लडा़  मरते  दम तक , जयमल वीर शिराेमणी
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आगरा का  किला  कूदा  ,अमर   सिंह  बलीदानी
मांगी एक  निशानी थी , शीश  दे  दिया  हाड़ीरानी
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रानीयाँ  हजाराे  लेकर , जौहर  में    कूदी  पदमनी
नहीं  मिलता  है  ढु़ढ़ने से ,भामा  शाह  महा  दानी
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राजकुमार की जान  बचाई ,बच्चें  की  दी  कुर्बानी
पन्नाधाय  धन्य  धन्य ,पहली  मां   है  ऐसी  जननी
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ताेप बडी़ आमेर  की ,करती  जयपुर की निगरानी
मानसिंहने काबुल लूटा,जयसिंह ज्याेतिषका ज्ञानी
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विश्व  प्रसिद्ध जंतर  मंतर , सारी   दुनिया   जानी
अव्वल   गुलाबी  नगरी   है , दुनिया  इसको मानी
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विजय  स्तम्भ  कुंभा   का  ,खानवा  की   निशानी
बिरला  बांगड़  बजाज  हमारे ,मित्तल  सबसे धनी
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भक्ती   मीरा   बाई   की , वो  कृष्ण   की   दिवानी
गरीब  नवाज  अजमेर   वाले ,ख्वाजा  मुसलमानी
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खाटू  श्याम  को  सब   माने , शीश  का   है  दानी
सब  तीर्थों का  गुरू पुष्कर , सबकी नानी देवदानी
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मेहा लेआये पाकिस्तानसे,शक्तिकाअवतार भवानी
जोधपुर बीकानेर बसायो, देशनोककी माताकरणी
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गजब मन्दिर दुनिया  का ,काबा देखे खुब  सैलानी
मां  जगदम्बा  साथ देवे  ,ढा़ढा़वाली  अम्बे  चारणी
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मकराना  का  सगंमरमर ,ताज महल  की  जुबानी
पाेकरण में   परमाणू   बम  ,ये   धरती   रेगीस्तानी
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हिन्दूस्तान में सबसे ऊपर ,हमारे शहीद राजस्थानी
आजादी    में    साथ    दिया ,   स्वतंत्रता   सैनानी
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दुनिया का इतिहास उठालाे ,सबसे वीर राजस्थानी
हाड़ाेती  मेवाड़   मेवात , डांग   क्षैत्र    ही   अपनी
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ढुढांडी़  आेर  शेखावाटी , मारवाडी़   प्यारी  वाणी
सात  भागो  में  बाेली  जाती ,ये भाषा  राजस्थानी
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चुरमा   दाल   बाटी   मस्त , घेवर   सांभर   फीणी
बीकानेरी   भुजीया   खाओ ,  रसगुल्ले   है   लूणी
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मुसटंडे   हो   जाते    छारे  , पीकर    खारा   पानी
घुटने   ज्यादा   चले   हमारे , कम  पीते  है   पानी
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आओ   रणथंभौर  अभ्यारण , देखो   शेर   शेरनी
कश्मीर  हमारा  माउण्ट  आबू , बाेले  माेर  माेरनी
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ऊँट  हमारे   सबसे    प्यारे ,  कहते    है   जापानी
नागौरी बैलाे  की  जाेडी़  का, कोई  नहीं  है  शानी
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प्रेम  से  रहते  मिलजुल कर , कोई  नहीं  तनातनी
वफादारी  खून   में  है ,  नहीं   करते   है  बेईमानी
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सबसे  शांत  राजस्थान ,  नहीं   हाेती   है   शैतानी
राजस्थानी  "महेन्द्र जाखली "दिल  है  हिन्दूस्तानी
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पधाराे  म्हारे   देश  में , आपरी   हुसी   मेहरबानी
महकती   धाराँ   की   धरती ,काेई  आये  शैलानी
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स्वागत  करे  राजस्थानी , राजस्थानी  राजस्थानी
स्वागत  करे  राजस्थानी , राजस्थानी  राजस्थानी
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रूड़ौ राजसथान

ताण मूंछ तोलै घणा, परतख भुजबल पाण |
रण मांये राता रहे,रूड़ौ राजसथान||

धरम राख्यौ इण धरा, राखी ही रजवांण |
अरि-दल काट्या आवतां, रूड़ौ राजसथान ||

पन्ना पदमण कीरती, बहुविध करूं बखाण |
निपजै सतवंत नारियां, रूड़ौ राजसथान ||

ना दे शीष न्ह दे धरा, पाथळ जी परमाण |
रजवट रे कज रण चढे, रूड़ौ राजसथान ||

पतळी पहरै पगरखी, सिरै पागड़ी शान |
कुंडल पहरै कान में, रूड़ौ राजसथान ||

वीरमदे री वारता, गोगा रा गुणगान |
पाबू परवाड़ा पढे, रूड़ौ राजसथान ||

सिंह चढै माँ शारदा, भैरव हो अगवांण |
करणी माता करनला, रूड़ौ राजसथान ||

भड़बंका रो भरतपुर, जोधा रो जोधाण |
सुरताण नर सिरोहियो,रूड़ौ राजसथान ||

🙏🌹हनुमान सिंह सवाईगढ 🌹🙏

रजपूती रा हाथ

रजपूती रा हाथ

धरणी धाड़ा आवता, धर पर करवा घात।
उण दिन आडा आवता,रजपूती रा हाथ।।

अरब दळ इत आविया,काळ अंधारी रात।
आशा दीप जलावता,रजपूती रा हाथ।।

देवी दोय रिझावता,दुरगा सुरसत साथ।
कलम र कटार एक सा,रजपूती रा हाथ।।

जीवत सगत इत्त अगन जळी, चली सरग पथ साथ।
गढां महलां र झुंपड़ां,रजपूती रा हाथ।।

भाखर भाखर वो भिड्यो, भड़ ले भीलां साथ।
देखो पातळ दाखव्या,रजपूती रा हाथ।।

अधफेरा पाबु उठ्यो,सोढ़ी सुरगां साथ।
परण मरण वरण सरखां,,रजपुती रा हाथ।।

भट्ट नाग भीनमाल रो, अड़ियों अरबां साथ।
रखी रसातल जावतां,रजपूती रा हाथ।।

भीनमाल के नागभट्ट प्रतिहार ने अजेय अरबो की आंधी को सिंध के पार रोक दिया था।

परणयो न पतशाह घर,वरयो अपसर साथ।
सोनगरो वीरम सिरे,रजपूती रा हाथ।।

औरंग जद अजीत पर,करी घात पर घात।
दुरगे देश रुखाळयो,रजपुती रा हाथ।।

दिल्ली र ढूंढाड़ धर,पज्वन पीथल साथ।
रण आंगण रमियां जबर,रजपूती रा हाथ।।

गजनी सुं गोगो अड्यो, बेटा पोता साथ।
सेंभरिये दाख्या जगत,रजपूती रा हाथ।।

सिद्धराज जयसिंह सिरे,गुर्जर धर रो नाथ।
कळजग सत जग लावियो,रजपूती रा हाथ।।

डिगता देवळ राखियां,भिड़ मुगलां सुं बाथ।
शिवाजी मराठो सिरे,रजपूती रा हाथ।।

कट कट पुरजा रण रह्या,अमर रही अखियात।
कमध परभु कश्मीर में,रजपूती रा हाथ।।

मेडतियो जैमल सिरे,भगती सगती साथ।
दोनो बाता दाखव्या, रजपूती रा हाथ।।

आया दीधो आसरो,भड़ कीधो भाराथ।
मछरिक हमीर मरटधर,राजपूती रो हाथ।।

कमधज माने साधया, जोग भोग ने साथ।
देखो कळजग दाखलो, रजपूती रा हाथ।।

शंभुसिंघ बावरला

रंग रूड़ौ रजथान

रंग पच्चीसी

रंग रूड़ौ रजथान .

सती जती अर सूरमा सोहै सुभट सुजान
मुधरी बोली मोवणी रंग रूड़ो रजथान

आडावल ऊभौ अडिग अड़ ऊंचो असमान
कोटि-कोटि कीरत कथन रंग रूड़ो रजथान

लाखीणी लूणी ललक जगत गंग जिमि जान
बहै बनास बड़भागिणी रंग  रूड़ो रजथान

माही जाखम मानसी सिरैह चंबल शान
नवल नीर नित नरमदा रंग रूड़ो रजथान

भलौ भरीजै भाखड़ा बीसलपुर बलवान
सरवर तरवर सौवणा रंग  रूड़ो रजथान

मकराणा रो मारबल राजसमद रसवान
जोधाणै छीतर जबर रंग रूड़ो रजथान

जैपुर जावो जगत में  व्हालौ गढ़ बीकांण
पुसकर है परयाग सम रंग रूड़ो रजथान

जसनगरी जोधांण में मोटो गढ़ महरांण
चौक हथाई चाव री रंग रूड़ो रजथान

नाथ दुवारे नाथ जी दैव बड़ा दरसान
रुणिचा में रामदे रंग रूड़ो रजथान

उदियापुर अनमी अटल  एकलिंग दीवान
झीलां नगरी झिलमिले रंग रूड़ो रजथान

सोहै खाटू श्याम जी सालासर हड़मान देशनोक करणी दरस रंग रूड़ो  रजथान

दिलवाड़ै रा देवरा वैभव विपुल वितान
जैन धरम री जामणी
रंग रूड़ो रजथान

रणकपुरी रल़ियावणी जाणै सकल जहान
धिन अहिंसा परम धरम रंग रूड़ो  रजथान

गढ़ चित्तौड़ी गजब रो पदमण री पहचान
जौहर साका जगमगै रंग रूड़ो रजथान

नारी भारी नेह रा  निरमल दिया निसांण शीश काटकर समप्पिया रंग रूड़ो रजथान

खैर कैर अर खेजड़ा बोरां करूं बखान
पीलू ढालू पाँगरै रंग रूड़ो रजथान

चंग भपंग कमायचा ताल मंजीरा तान
मोरचंग मनभावणी रंग रूड़ो रजथान

सदा सवाया सौवणा  करी ऊंट कैकांण
गाय दुवाड़ै गौरड़ी  रंग रूड़ो  रजथान

चिड़ी कमेडी आ चुगै धरमादा रो धान
मोर पपीहा मोकल़ा रंग रूड़ो  रजथान

पैरण धोती पागड़ी अंगरखी अचकान
मोत्यां मूंघी मोजड़ी रंग रूड़ो  रजथान

महल अटारी माल़िया छायां छप्पर छान
पड़वा पाल़ी प्रीतड़ी रंग रूड़ो  रजथान

भाटै भाटै भोमिया थळवट्ट थपिया थान
जग चावा झूंझार जी रंग रूड़ौ रजथान

तेज धार तलवार है मखमल रो है म्यान
भाला ढालां भळकतौ रंग रूड़ौ रजथान

आखै भारत आखतां नर निपजै निरवाण
ठावी अर चावी ठसक  रंग रूड़ौ रजथान

आयां रो आदर अठै अपणायत अहनांण
इधको है इल़ ऊपरां रंग रूड़ो  रजथान

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

@©© रतन सिंह चाँपावत रणसी गांव कृत

आऊवा रो मरण-महोछब!

गिरधर दान रतनू: आऊवा रो मरण-महोछब!

साचाणी आ बात मनणजोग नीं है कै मरण रो ई कोई महोछब मनावै !!पण जद आपां राजस्थान रै मध्यकालीन इतिहास नै पढां तो आपांरै साम्हीं ऐड़ा अलेखूं दाखला सावचड़ूड़ आवै कै अठै पग -पग माथै मरण महोछब मनाईज्या हा। जिण गढां में शाका हुया ,उठै रै उछब रो आजरा आपां काल़जै-पीतै बायरा  या संवेदनाशून्य मिनख किणी पण रूप में कूंतो नीं कर सकां।धधकती झाल़ां में सोल़ै सिंणगार सज आपरो अंग अगन नै सूंपणो आपांरी समझ में नासमझी हुय सकै पण जिणां री मा सेर सूंठ खाय थण चूंगाया या जिकै डोढ हाथ रो काल़जो राखता वै ई आ बात  जाणता कै वै कितरै गीरबै रो काम कर'र आवणवाल़ी पीढ्यां रै सारू स्वाभिमान ,कुलीनता अर गरिमा रो वट ऊगाय'र जा रह्या है।

इणी वीर भोम माथै रैवण वाल़ी चारण कोम ई आपरै थापित आदर्शां री रुखाल़ी सारू मरण नै आंख मांयलो फूस मानता ।
जद -जद अर जठै -जठै शासकां मद में मदीजर आपरै पुरखां री लीक तजी तद-तद चारणां उण अत्याचार नै साच री सीख दे  थापित लीक माथै लावण सारू तागा,तेलिया अर जमर किया।
अपणै आप मरण तेवड़णो कितरो वेदनाजुक्त हुय सकै इणरो आपां कनै अंदाजो नीं है।
मरणो !मोटो धरणो!!पण स्वाभिमान माथै आंच आयां,सांसणां री मरजादावां भंग हुयां  सरणागतां री रक्षार्थ अर आपरी रैयत माथै किणी पण भांत रै अन्याय रै प्रतिकार रै रूप में चारणां तात्कालिक सत्ता रै खिलाफ धरणो यानी सत्याग्रह कियो । जद सत्ता आपरी मूंछ ऊंची राखण सारू उणांरी वाजिब मांगां नै ई हठधर्मिता सूं नीं मानती तो ऐ मोत रो आलिंगन कर सुरगपथ रा राही बणता।
लगैटगै हर चारणां रै गांम में इण भांत रो मरण महोछब मनाईज्यो।जिणरी सिलसिले वार विगत विस्तार भय सूं नीं दे रह्यो हूं पण पांच-सात नाम लिखणा ठीक रैसी-दासोड़ी, माड़वा, मोरवड़ा,गोमेही,सींथल़,  झिणकली,कुशलपुरा, खुंडिया,आद गांम आपरी इण परंपरा रै पेटे चावा है।पण अठै इणां री बात नीं कर'र आऊवा में हुयै वि.सं.1643रै धरणै री बात करांला।
जोधपुर राजा उदयसिंह जिकै इतिहास में मोटे राजा रै नाम सूं जाणीजै।उणांरी बगत में
गोविंद बोगसा चारणवाड़ा ,राज रै मिनखां रो आ कैय विरोध कियो कै "म्हारी कांकड़ मांय सूं कोई पण चीज म्हारी सहमति बिनां न तो  कोई  ले सकै अर नीं म्है लेवण दूं।"
आ बात राज रै खुबगी अर गोविंद बोगसा रो गांम खालसै कर दियो गयो। इण अणूती बात रो जिकै ई चारण विरोध कियो तो उणरै साथ ई ओ ई व्यवहार हुयो।
सेवट चारणां सामूहिक रूप सूं धरणो देवणो तय कियो पण राज रै भय सूं किणी पण ठाकर धरणा स्थल नीं दियो। पण जेड़ो कै कैताणो चावो है कै धरती बीज नीं गमावै।सतवादी पाली ठाकर गोपाल़दासजी चांपावत चारणां नै संदेशों पूगायो कै वै पाली आय म्हारै अठै धरणो देवै। म्है अर म्हारा आठ बेटां रै नकतूण्यां सास बैवेला जद तांई थांरो कोई बाल़ ई बांको नीं कर सकै-
*मुरधरा नोज सांसण मिटै*
*मो ऊभां गोपाल़मल।*(भैरूंदानजी बारठ)
चारणां दुरसाजी आढा री अगवाणी में पाली रै गांम आऊवा में कामेश्वर महादेव मंदिर आगै धरणो दियो।
उदयसिंह ,आपरा विश्वास पात्र अर उण बगत रा मौजीज चारण अखाजी भाणावत नै आ कैह्य' र मेलिया कै वै आपरै प्रभाव रो प्रयोग कर'र धरणो उठावै पण उठै जातीय हितैष्णा सारू मोत नै गल़ै लगावण सारू ताखड़ै पड़तै उत्साही चारणां नै देखर अखोजी ई धरणै में भेल़ा रल़ग्या-
रोहड़ अखवी राण,
साथ खटव्रन सघाल़ा।
बैठा धरणै विहस,
राव ऊपरै रढाल़ा।।(खीमाजी आसिया)
अखाजी रै आभामंडल नै इंगित करतां दुरसाजी लिखै-
*अखवी आवंतांह,*
*वाहर वीसोतर तणी।*
*तोर बदन तपतांह,*
*भांण दवादस भांणवत।*
उदयसिंह ,गोपाल़दासजी नै समाचार कराया कै
"धरणो उठा दियो जावै नीतर जागीर खालसै कर दी जावैला। "
इण बात रो उथल़ो देतां गोपाल़दासजी कह्यो कै
"जिण थांनै जोधपुर दियो,उणी म्हांनै पाली दी है।इत्तो गाढ किणमें है जको म्हारी जागीर खोसै?"
राजा विध -विध रा अत्याचार किया पण चारणां री रुखाल़ी, चांपावतां करी।जद ई तो कह्यो गयो है कै-
*चांपावत नै चारणां*
*पैले भव री प्रीत।*
चारणां दो दिन धरणो दियो
राजा नीं मानियो जद सेवट तीजै दिन चारणां मरण महोछब तेवड़ियो।
आपरी आन बान सारू सूरज री पैली किरण रै साथै आपरी जीवण जोत मिलावण री तय करर उठै गोविंद ढोली नै ढोल रै साथै आ कैय बड़ माथै बैठायो कै सूरज री पैली किरण दीसतां ई ढोल रै ढमको देवैला अर ढमकै रै साथै चारण कटारियां खावैला।
ज्यूं ई पील़ो बादल़ हुयो अर गोविंद री संवेदना जागी कै म्है ज्यूं ई  ढोल बजायो नी! अर त्यूं ई  इतरा आदमी आपरा प्राणांत करैला! इणसूं तो आछो ओ है कै म्है खुद ई कटारी खायलूं!!गोविंद आ धार'र पैली किरण रै साथै आपरी प्रतमाल़ी गल़ै में पैरली।ज्यूं ई गोविंद धाराल़ी गल़ै में धारी अर उणरो शरीर थोड़ी देर पछै बड़ रै ऊपर सूं लढंद दैणी नीचै पड़ियो।उण लढंद साथै सगल़ा चारण सचेत हुय आप आपरी कटारियां खाय अन्याय रै खिलाफ आपरा प्राण सामूहिकता नै समर्पित कर दिया-
*धिन चारण उण दिन*
*पूरी एकता पाल़ी।*(भंवरदानजी वीठू झिणकली)
कह्यो जावै कै जिकै चारण अपरिहार्य कारणां सूं उठै नीं पूग सकिया उणां मांय सूं
केयक बैतां तो केयक आप आपरै थान मुकाम माथै जमर कर प्राणां री आहुतियां दी। इणी सारू इणनै *लाखा जमर*
कह्यो जावै-
*हालतां जमर हजारां।*
इण आऊवै रै मरण महोछब में गोविंद ढोली सबसूं पैला आपरी जीवणजोत परमजोत में मिलाय जस रो भागी बणियो-
दूण उभै देवल्ल,
पांच आसिया पुणीजै।
रतनू सतरै राव,
सात सिंढायच सुणीजै।
कुल़ थंभ किनियो एक,
जिको मुवो दिन बीजै।
*मूवो सारां मोर*
*दाद ढोली नै दीजै।*
सिरताज लाज धरणा सजै,
बड़ी लाज कुल़ री बुवा।
उदैराव सीस आऊवै तखत,
महापात ऐता मुवा।।(खीमाजी आसिया)
पण   केई लोगां  आपरी खांमचाई सूं इण पंक्ति नै बदल़दी -
*मूवो सारां मोर*
*दाद ढोली नै दीजै।*(खीमाजी आसिया)
उणां बदल'र लिखी-
*सिरै मुवो सामोर*
*दाद ढोलां सूं दीजै।*
खैर.....
इण आऊवै रै आंटीलै भड़ां नै म्है ई शब्द सुमन समर्पित किया है जिकै इणगत है-
पहुमी चांपां तणी प्रणाम -
गीत -वेलियो
सोल़ैसै वर्ष तैंयाल़ै सांप्रत
ऊदल भूप कियो अनियाव।
जबती सांसण किया जोरवर
भूलो आद सनातन भाव।।1

जुड़िया पात काज जूझण रै
बसुधा सधर रखावण बात।
अनमी आउवै हुवा एकठा
जनबल़ जदै जतावण जात।।2

धरणो जबर रच्यो इण धरणी
करणो धरा अनोखो काम।
मरणो मुदै धार मांटीपण
नह डरणो जस राखण नाम।।3

हिव सुण राज अया हलकारा
धरणो जबर उठावण धूंस।
तिल जितरा हिलिया नह ताकव
हिरदै अडग अथग भर हूंस।।4

मांडण तणो गोपाल़ो मांझी
आंझी पुल़ मेंअयो अधीर।
सुत निज साथ चांपो ले सारा
भड़ ऊभो पातां कर भीर।।5

पातां सटै गात मो पूरो
कुल़ पुरो आसी इण काम।
चांपै वचन ऐहड़ा चविया
वरधर कमंध पखै वरियाम।।6

ऊदल खार खाय उणवेल़ा
अधपत आप थपावण आंण।
धरणो जबर उठावण धारण
अह मेलियो अखवीरांण।।7

सतपथ धार सुपातां सारां
उठकर भलो आपियो आघ।
हेर रोहड़ अबै तो हाथां
पातां अनम बचावण पाघ।।8

भेल़ो जात बैठियो भलपण
उरधर अखो रखै अनुराग।
सांसण पात जात हित सारा
तीस एक नैं दीधा त्याग।।9

पतसाह वरन वाजियो उणपुल़
जुगकर जोड़ भाखियो जात।
भल़हल़ भांण भांण रो भाल़ो
वाह वाह खाटी जस बात।।10

दीधो नको ढोल रै डाको
गोविंद जिसै भलै गुणियांण।
पड़ियो खाय कटारी पैला
बसुधा बहिया अमर बखा़ण।।11

दूणै जोस उरां धर दूथी
सतपण सधर बचावण साख।
करधर पैर कटारी कंठां
लाटण सुजस मुखां भल लाख।।12

खल़क्यो रगत जदै खल़खल़तो
जोयो जगत महेसर जोर।
भगतां वीरत देख भूतेसर
उणपुल़ रहियो आप अजोर।।13

विचलित सांम हुवो तिण वेल़ा
ताकव नाथ निभाई टेक।
नयणां मूंद नीसासो भरियो
पातां मरण नजारो पेख।।14

रोहड़रांण सांदू नै रतनू
आढा लाल़स मुवा अड़ेल।
खिड़िया जबर महाजस खाटण
पड़िया देवल कविया पैल।।15

किनिया अनै सिंढायच कुल़छल़
मेहडू जबर बोगसा मांण।
मीसण भला वरसड़ा मांझी
आसल जगहट राखण आंण।।16

गाडणराण भादा धर गौरव
वीठू सधर उठै वणसूर।
इणविध सकव मुवा आंटीला
सौदा देथा हठधर सूर।।17

मुरधर मांय जमर कर मरिया
सुरधर तणै वंदाया सांम।
अह गल अमर रखी अखियातां
निकल़ंक अजै सुपातां नाम।।18

ऊदलराव लीधी अपकीरत
कमंधां वंश लगायो काट।
वडपण धार मांडणसुत वरियो
खगधर सुजस गोपाल़ै खाट।।19

रहसी बात जितै धर रहसी
बहसी पातां तणा बखांण।
अहसी कथा गुमर धर उर में
कहसी भल़ै भला कवियांण।।20

आऊवो तीरथ जाण ईहगकुल़
वीरत तणी धरा वरियाम।
गिरधरदान करै ओ गढवी
पहुमी चांपा तणी प्रणाम।।21
उण सगल़ै वीरां नै सादर वंदन
गिरधरदान रतनू दासोड़ी