सोमवार, 22 अप्रैल 2019

स्वाद राजस्थान का

एक कविता में राजस्थान के समस्त व्यंजनों का जिलेवार विवरण।
“स्वाद राजस्थान का
लूणी रा रसगुल्ला खाओ ; भुजिया बीकानेर का ।
चमचम खावणी पोकण ऱी; घोटमा जैसलमेर का ।।
कड़ी कचोरी अजमेर ऱी ;अर कचौरा नसीराबाद का ।
पाली रे गुलाब हलवे रा ; बड़ा मजा है स्वाद का ।।
ओसियां में दाल रा वड़ा ; जीवण जी खिलावे ।
फलोदी रे भैया भा रो हलवो; मूंडे लाळ पड़ावे ।।
रबड़ी रा भटका आवे तो ; सीधा जावो आबू रोड़ ।
जयपुर रा घेवर खावण रो; मौको ना दीजो छोड़ ।।
कोटा ऱी हींग कचोरी ; रतन आळे ऱी खाइजो ।
खीर मोहन खावण ने ; गंगापुर सीटी आइजो।।
घणो ई चौखो लागे है ; अलवर आळो मिल्क केक ।
भारत भर में पीवे चाव सूं ; भीलवाड़ा रो मिल्क शेक ।।
प्याज कचोरी ,मावा कचोरी ; अर मिर्ची बड़ो है जोर ।
सगळे स्वाद में राजा कहिजे ; है जोधाणो सिरमौर ।।
लिख्या जितरा ई खाया हूँ ; ह्रदय सूं थाने बतावूं ।
मिष्ठान लेखणी रो संगम हूँ ; लिख-लिख ने इतरावूं ।।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

सेल्फी लैवे सांतरी....

सेल्फी लैवे सांतरी, कर धर बंदुक खाग।
उपर आयांह ऊभजा, हिये न उठती आग।।

कंवर कोरा कूदता, पेर र केसरी पाग।
फोटू पाड़न फूटरा, कर धरि कटार खाग।।

बन्ना निवड़े बावला, बन्नी फेसनि फेस।
देखाव चक्कर दीपड़ा, मिटतो मुरधर देस।।

ठोक शायरी ठावकी, फूटरा देवां पोज।
सेल्फियां माहि सांतरो, आपां दिखावां औज।।

सिर सटे जो धारी धरा, भूप भूमि भरतार।
जबरदस्त सुण जूमला, बण ग्या चौकीदार।।

सीकर फीकर कुण करे, झेरे चौकीदार।
भेड़ चाल में भूलगा, चलावनी तलवार।।

लूखा सजनी लेयगा, भमता किथ भरतार।
टिरिया बे जिण टैम रा, कठै बली तलवार ।।?

गिदड़ा सिंहणी झांप ली,  नेहचे सुता नार ।
देख दशा आ दीपड़ा, खावै थूं क्यां खार।।

मणी ही मुँगी मौकली, नाठो लेयर नाग।
बाका फाड़ो बांकुरा, खन्नै होतां खाग ।।

सस्तर ना संभालिया, खागां लागो काट।
ठानीजे तो ठानले,  नी तो बैठो माठ।।

दीप चारण