*धरती फाटै मेघ मिलै,
*कपडा फाटै डौर,
*तन फाटै को औषधि,
*मन फाटै नहिं ठौर।
जब धरती फटने लगे अर्थात दरारें पड़ जाये तो मेघों द्वारा जल बरसाने पर दरारें बन्द हो जाती हैं और वस्त्र फट जाये तो सिलाई करने पर जुड़ जाता है। चोट लगने पर तन में दवा का लेप किया जाता है, जिससे शरीर का घाव ठीक हो जाता है
*किन्तु मन के फटने पर कोई औषधि या उपाय कारगर सिद्ध नहीं होता। अतः प्रयास रहे कि आपकी वाणी से किसी को ठेस न लगे।
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