सन्मुख रहीजे सांवरा, जो जग में रह मरजाद।
होली हो हर पाप की, पुण्य बचे प्रहलाद ।।
कपट कदे न चालसी, कर देखो कोई आज।।
होली बलसी हेकली, गिरधर रखसी लाज।।
धर्म बिनो धीरज नहीं, कर्म बिनो नहीं काज।।
पीत नही परहित बिनो, ज्युं राम बिन मरजाद।।
बिगङी सुधरी बणे, नहीं हरि बिनो हर हाल।।
मनवा समझो मुलक को, ज्युं मकङी को जाल।।
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