गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

आखातीज

सूरज री नई रोशनी में,हवा री आवाज।
मुळके मरूधर री माटी,आ गई आखातीज।।
हळियों लेकर हालिया,खेतां बोवा बीज।
छांटा करजे सावरा,आई आखातीज।।
सुगन होवे सांतरा,मैटो मन री खीज।
सागे हालो सांवरा ,आई आखातीज।।
करसो निरखे कैर ने,हिवड़ो गयो पसीज।
बरखा होसी जोर री,कैवे आखातीज।।
बाजरियो रो सोगरो,मँग मोट री दाळ।
खिच बणायो जोर रो,जीमो थे गोपाळ।।
कैर कुमठिया सांगरी,बाजरिया रा रोट।
छाछ परोसूं थाळ में,मारवाड़ री गोठ।।
हेत घणो है रेत सूं,खेत सजावे तान।मौखळी बरखा देखने,मुळके मोर किसान।।

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