जद अलाऊदीन खिलजी सोमनाथ री लिंग लियां मदछकियो जाल़ोर री आंटीली धरा में बड़ियो तो अठै रै अडर अर धरम रक्षक शासक कान्हड़दे आपरै आपाण रै पाण खिलजी सूं खेटा कर लिंग खोसली अर माण सहित सरना गांम में थापित करी।इणी रै अजरेल अर जबरेल सपूत वीरमदे री वीरता अर सुंदरता देखर अलाऊदीन री बेटी फिरोजा रीझगी अर हट पकड़ियो कै शादी करेला तो इणी वीरम रै साथै !नीं तो कंवारी ई भली।बादशाह कान्हड़़दे नैं कैवाय़ो पण वीरमदे नटग्यो ।बांकीदासजी रै आखरां में-
*परणूं धी पतसाह री,*
*रजवट लागै रोग।*
*वर अपछर वीरम कहै,जांणो सुरपुर जोग।।*
अलाऊदीन खिलजी आपरी बेटी फिरोजा नै पैला मान मनोवल़ सू अर पछै वीरमदे नैं मांडै परणावण जालोर चढ आयो पण धरम रक्षक अर स्वाभिमान रो सेहरो बांधणियो वीरमदे एक विधर्मी जाति री स्त्री नैं वरण करण सूं सफा नटग्यो।फौज घणा दिन पड़ी रैयी पण पार नीं पड़ी।कुजोग सूं इणी धरा रै वीकै दइयै गढ रो भेद दियो।छत्राण्यां सहित बीजी जाति री वीरांगनावां जौहर री ज्वाल़ां झूली अर वीरां केशरिया करर वि. सं.1368 में साको करर जाल़ोर धरा नैं जस दिरायो।इण लड़ाई में वीरमदे रा प्रिय कवि *सहजपाल़ गाडण आपरै भाई नरपाल, मान अर कान भतीजै,दो आपरै खवास सेवकां साथै घणी बहादुरी सूं लड़र वीरगति वरी।*
जाल़ोर गढ रो भेद देवणियो वीको जद मोद सूं घरै गयो अर इणरी घरनार वीरांगना हीरांदे नैं देश घात करण रो ठाह लागो तो उण ,उणी घड़ी आपरी कटार सूं देश द्रोही धणी नैं मारर मोद सूं वैध्वय अंगेजियो।
आज म्हारा मित्र अर स्नेही शंभुसिंहजी बावरला एक पोस्ट घालर इण महान सपूत वीरमदे रो बलिदान दिवस आ कैयर याद दिलायो कै-
*मात-पिता सुत मेहल़ी,*
*बांधव वीसारैह।*
*सूरां पूरां बातड़ी ,चारण चीतारैह।।*
इणी संदेश रै साथै म्है ई उण महान धरम रक्षक वीर नैं आखर पुष्प चढाया है सो आपरी निजर कर रह्यो हूं-
सनातनी मरजादा पाल़णियै महान वीर वीरमदे सोनगरै रो गीत-गिरधरदान रतनू दासोड़ी
गीत प्रहास साणोर
अवतार वो गिणीजै शंकर रो इल़ा पर,
खागधर कान्हड़ै कीर्त खाटी।
महाबल़ कनकगिर राखियो मछरधर,
दोयणां आवती घड़ां दाटी।।1
सोनगरो सधर कज बात कज सूरमो,
निडरपण केवियां अड़्यो नांमी।
मांण हिंदवांण रो राखियो मरटधर,
भाल़ सब भारती हुवा भांमी।।2
सोहड़ उण सा'यता कर सज संभ री,
धिनो ससीनाथ कज मरण धारै।
खोस लिंग थापना करी खत्रवाट वट,
मरट तुरकांण रो वीर मारै।।3
अलाऊदीन जद आवियो उरड़ मन,
वीरम नै दियण निज आप बेटी।
कान्ह नै कहायो बता करवाल़ कर,
जोधवर मेलजै परण जेठी।।4
सांभल़्यां वैण अरियांण रा सूरमै,
वीरमै धिनो मछरीक वंकै।
कनकगिर अखंडित रखण वा कीरती,
अडर नह धमकियां गिणी अंकै।।5
बोलियो महाबल़ मोत नै वरण लूं,
वरूं नह तुरक री कदै बेटी।
जीवतो कदै नह हुवण दो जोयलो,
हाथ हिंदवांण री मूंछ हेठी।।6
कनकगिर घिरी गो फौज बल़ केवियां,
क्रोध तुरकाण धर अथग कोपै।
मांण कज मरण नैं संभ्या मछरीक मन,
रणांगण अगंद ज्यूं पाव रोपै।।7
किता दिन फौज वा पड़ी री कनकगिर,
वीरम रो हुवो ना बाल़ वांको।
वीकियै दियो वो भेद गढ विदर जद,
आवियो वीरगत वरण आंको।।8
किया जद सूरमां मरण नैं केशरिया,
रंग छत्रांणियां झल़ां रीझी।
वंदना मात भू करी भड़ वीरमै,
खाग अरियाण सिर जदै खीझी।।9
अड़ण नैं अलाऊदीन सूं उरड़िया,
सोनगरा मोत सूं भिड़ण साचा।
बेख वा काल़ री जदै विकराल़ता,
पेख पग कायरां पड़्या काचा।।10
वरी ना तुरकणी कान्ह सुत वींदणी,
मांण कज अपछरा वरी मांटी।
सुजस रो हालियो बांध नैं सेहरो,
चुतरभुज नाथ री करण चांटी।।11
*धिनो कवराज वो कनकगिर धरा रो,*
*मोत नैं सांमछल़ वरी माथै।*
*गाडणां राव गढ काज धर गाढ नैं*
*सहजो वीरम रै गयो साथै।।12*
द्रोह निज देश सूं कियै इण दइयै
वीक री कमी नैं कही वीरां।
छत्राणी खमंध नैं मार नैं उणी छिण
दुहागण देश कज हुई *हीरां।।13*
अभंग वा कीरती वीरमै अखंडित
रंग धर वीरती अमर राखी।
गुणी ज्यूं सुणी इतियास री गिरधरै
साच मन बणाई बात साखी।।14
जबर भड़ वीरमो धरम कज जूझियो
छतो निज देह रो मोह छांडै।
सोनगरै शंभ नैं गीत ओ सरस मन
मित्रता भाव सूं दियो मांडै।।15
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
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