सोमवार, 9 जुलाई 2018

हूं नीं, जमर जोमां करसी

हूं नीं, जमर जोमां करसी!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

धाट धरा(अमरकोट अर आसै-पासै रो इलाको) सोढां अर देथां री दातारगी रै पाण चावी रैयी है।सोढै खींवरै री दातारगी नै जनमानस इतरो सनमान दियो कै पिछमांण में किणी पण जात में ब्याव होवो ,पण चंवरी री बखत 'खींवरो' गीत अवस ही गाईजैला-
कीरत विल़िया काहला,
दत विल़ियां दोढाह।
परणीजै सारी प्रिथी,
गाईजै सोढाह।।
तो देथां रै विषय में चावो है-
दूथियां हजारी बाज देथा।।
इणी देथां रो एक गांम मीठड़ियो।उठै अखजी देथा अर दलोजी देथा सपूत होया।अखजी रै  गरवोजी अर मानोजी नामक दो बेटा होया। मानोजी एक 'कागिये'(मेघवाल़ां री एक जात) में कीं रकम मांगता।गरीब मेघवाल़ सूं बखतसर रकम होई नीं सो मानोजी नै रीस आई ।वे गया अर लांठापै उण मेघवाल़ री एकाएक सांयढ आ कैय खोल लाया कै -"थारै कनै नाणो होवै जणै आ जाई  अर सांयढ ले जाई।"
थाकोड़ो(गरीब) आदमी हो सो रुपिया कठै?कीं जेज कल़पियो अर पछै हिम्मत करर गरवैजी देथा कनै गयो अर आपरा रोवणा रोयो तो साथै ई आमनो ई कियो कै -"थे म्हारी मदत नीं करोला तो कुण करैला?"
गरवोजी नै उण माथै दया आई।वे गया अर आपरै भाई मानैजी नै फटकारिया कै -काला!ओ आपांरो कारू मतलब आपांरो टाबर अर तूं इणरी सांयढ खोल लायो!तनै विचार नीं आयो कै ऐड़ी रिणी रुत(अकाल का समय)में ओ पइसा कठै सूं लावै?सो इणरो टंटेर पाछो दे।"
आ सुण मानजी कैयो कैयो कै -"ऐड़ी घणी कीरप आवै तो घर सूं छीजो।पइसा घर सूं देवो अर सांयढ ले जावो ।नीतर लूखो लाड अर घणी  खमा दरसावण री जरूत नीं।ऐ च्यारूं मारग ऊजल़ा है।जचै जकै जावो।"
इण बात सूं दोनूं भाइयां में असरचो(विवाद)
बधग्यो  अर अणबण होयगी।
वाद इतो बधग्यो कै एक-दूजै सूं अबोलणा रैवण लागा।
गरवैजी मिठड़ियो छोडण रो विचार कियो।जोग ऐड़ो बणियो कै चौमासै रो बखत हो।मेह वरसियो सो मीठड़िये सूं थोड़ो पाखती ,पाणी एक जागा भेल़ो होय धरती रै मांया जावणो लागो।गरवैजी देखियो कै पाणी कठै जावै।पतो लागो कै उठै एक तल़ो(कुओ) है। दरअसल उठै 'केसरिया' जातरै बामणां रै खिणायो 'केसड़ार' नामरो कुओ हो।गरवोजी आपरो घर अर आदमी लेय इण केसड़ार माथै आय बसिया।
धाट क्षेत्र पूरो अंग्रेजी सत्ता रै सीधो अधिकार में हो।अंग्रेजां इण केसड़ार रो पट्टो गरवैजी रै बेटे जुगतोजी नै 'जुगता -मकान ' रै नाम सूं दे दियो।
चारण मालधारी (गायां बगैरह) हा सो गोल़ बीजै जावता रैता अर ई भ्रम में रैता कै म्हांरी जमी माथै कुण अधिकार करै? सो जुगतोजी छाछरै कनै जाय बसिया।उठै ई उणांनै उण जमी रो पट्टो जुगता-मकान रै नाम सूं मिलग्यो।
जोग ऐड़ो बणियो कै उणी दिनां  छाछरै रै एक मेघवाल़ आय केसड़ार में  एक  खेत बावण लागो अर अठीनै धड़ैलै गांम रै  एक मुसल़मान सूनी जमी देख केसड़ार माथै कब्जो कर लियो   आय उण मेघवाल़ नै धमकायो कै -"म्हारो  तूं खेत किणनै पूछर बावै?"
उण मेघवाल़ खेत चारणां रै आजै(विश्वास) माथै बायो ।उण बिनां डरियां कैयो -"थारो किसो खेत ?तूं कुण है म्हनै पालणियो? म्है तो खेत चारणां रो बावूं। आ जमी जुगतैजी री।"
उण मुसल़मान कैयो कै -"कोई चारणां रो पट्टो नीं ,हमे पट्टो म्हारो है।छोड खेत।"
उण मेघवाल़ जाय चारणां नै कैयो कै -"फलाणै मुसल़मान केसड़ार माथै कब्जो कर लियो  अर म्हनै खेत बावण सूं रोकै।"
चारणां कैयो -"
जमी आपांरी ,कुण रोकै ?हाल।
चारणां आय मुसलमान नै कैयो -
"तूं कुण है ?अठै खेत मना करणियो?जमी म्हांरी!!"
मुसलमान चारणां नै सधरिया नीं अर लांठापै खेत जमी खोसी।
वाद बधियो।मुकदमो होयो अर पेशी पड़ण लागी।चारणां री तरफ सूं गवाह  छाछरै रा सोढा हरिसिंह अर   सालमसिंह ।
हाकम कैयो कै -"ऐ  कैय दे ला कै जमी चारणां री कदीमी तो जमी थांरी नी़तर मुसल़मान री।"
चारणां नै पतियारो हो कै पैली बात तो  राजपूत ,पछै सोढा! !
सो गवाह तो निपखी म्हांरै पख में ईज देवैला।
पण ओ उण चारणां रो भ्रम हो,माखण डूबो।सालमसिंह  मुसलमानां रै पख में ग  कूड़ी गवाह दी ।उण जीवती माखी गिटतै कैयो कै-
"आ जमी चारणां री नीं अपितु इण मुसल़मान री ईज है।चारणां कनै कठै जमी है?ऐ तो म्हांरै माथै निर्भर है,म्हांरी जमी में पड़िया है!!तो हरिसिंह कैयो कै जमी चारणां री कदीमी अर पट्टै सुदा पण-
पखां खेती पखां न्याव!
पखां हुवै बूढां रा ब्याव!!सालमसिंह प्रभाव वाल़ो आदमी हो ,उण फैसलो मुसलमान रै पख में कराय दियो।
पण चारण तो डोढ सूर बाजै।वे मरणो अर मारणो दोनूं तेवड़ै। सो
चारण इयां आपरी जमी कीकर छोडै देता?उणां धरणो दियो ।जमर री त्यारी होई पण जमर कुण करै?
धरणै-स्थल़ माथै बात चाली कै कोई हड़वेची होवै तो जमर करै!! उल्लेख जोग है कै हड़वेचां चारणां रो एक गांम जिणरी जाई नै महासगत देवलजी रो वरदान, कै वा अन्याय अर अत्याचारां रै खिलाफ  सत रुखाल़ जगत में नाम कमावैला।
मीठड़ियै रा देथा अमरोजी जिकै मानैजी रै बेटे रामचंद्रजी  रा बेटा हा।वे हड़वेचां परण्योड़ा तो हा ई साथै ई धरणै में भेल़ा हा।उणां री जोडायत रो नाम जोमां हो ,जिकै बारठ सुदरैजी री बेटी हा।उण दिनां जोमां सूं मिलण ,जोमां री मा आयोड़ी ही।किणी मसकरी करतै कैयो कै "अमरैजी री सासू हड़वेचां सूं आयोड़ा है!!सो वे जमर करैला । आं ई हड़वेचां रै तल़ै रो पाणी पीयो है।"
आ बात जद जोमां री मा सुणी तो उणां कैयो कै -"हूं हड़वेचां आई हूं जाई नीं!! जमर म्हारी डीकरी करसी ,वा ई उदर तो म्हारै में ई लिटी !! सो जमर हूं नीं  जोमां करैला।"
आ बात जद जोमां सुणी तो उणां कैयो कै -जमर हूं करूंली!!मेघवाल़  बारठां रो नीं, देथां रो है !!पछै
हड़वेची हूं ,हूं ,म्हारी मा नीं अर  अजेज उणां रा भंवरा तणग्या ,सीस रा बाल़ ऊभा होयग्या।उणां मेघवाल़ री जमी   अर जात रो माण राखण जोमां वि.सं. 1900 री चैत बदि दूज रै दिन जमर कियो।
जोमां झल़ झाल़ां में झूलती(स्नान) कैयो कै -सालमसिंह रा भीलै भिल़सी अर छाछरो हरिसिंह रै वल़सी( आना) आ ईज बात होई ।सोढै सालमसिंह री संतति जातभ्रष्ट होई अर छाछरै माथै हरिसिंह री संतति रो आभामंडल़ रैयो।उण मेघवाल़ री संतति  आज ई जोमां रै प्रति अगाध आस्था राखै तो
उण मुसलमान   रै घर री काल़ी होई।
जोमां रै जमर  रो सुजस कवियां सतोलै आखरां मांडियो-

धिनो धाट में रूप जोमां धिराणी।
जिकी राखियो जात रो माण जाणी।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

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