रंग रा दूहा
जननी कुख धन जनमिया दुनिया वीर दातार ।।
डोढ़ा रंग तिण दिजिये , सुयश लिया संसार ।।1।।
शिर पड़ियां लड़िया सरस , दीना निज शिर दान ।।
राजन उण रंग दिजिये , जस तिण अमर जहान ।।2।।
कश्यप स्वाम्भुव भूप कहाँ , ऊजल बिरद अनूप ।।
तपसी राजन रंग तिहि , भया आर्यव्रत भूप ।।3।।
अर्क चंद्र अरु ऋषि अगन , समरथ भूप सुजान ।।
वंदिये रंग सह विश्व में , वंश तांहि विद्यमान ।।4।।
सम्पत राज समपे सर्व , भयो नृपत भीखंग ।।
अमूल्य वचन राख्यो अडग , राजा हरिचंद रंग ।।5।।
तपधारी कुळ तारवा , गिर से लायो गंग ।।
अमलां वेळा आपने , राजा भगीरथ रंग ।।6।।
जाचया हाड जोगी तणा , सरव देव मिल संग ।।
दिया हाड कट दान में , रिसीवर दधिचि रंग ।।7।।
भगवन्त निज भिक्षुक भये , निरख दता नवडंग ।।
निश्चय सत चुकयो नहीं , राजा बली ज रंग ।।8।।
नीति धरम निभाड़णो , छेदयो मांस छुरंग ।।
शरणागत सुंपयो नहीं , राज शिबी घण रंग ।।9।।
अहो भाग्यवर अवधपत , अति बळ युद्ध अभंग ।।
पुत्र राम त्रयलोक पत , राजा दशरथ रंग ।।10।।
सांम अवध सेना सघन , सहोदर लक्ष्मण संग ।।
बिहड़यो दशकंधर बली , राम प्रभु घण रंग ।।11।।
प्रचंड सेन बळ पराक्रमी , तोड़ण मद तरसंग ।।
भूप आर्यव्रत भूमि रा , राजा यदु घण रंग ।।12।।
दीन वत्सल दुष्टां दळण , जय कर पांडव जंग ।।
चीर द्रोपदी सिर चढ़ण , राजा कृष्ण रंग ।।13।।
अवनी ऊपर अवतरे , श्री कृष्ण के संग ।।
हलधर भट दुष्टों हणे , रोज दियां तिण रंग ।।14।।
सतवादी पांडु सतन , सहे कष्ट तन संग ।।
नीति धरम त्यागयो नहीं , राज युधिष्ठर रंग ।।15।
नीति न्याय ज्ञानी नृपत , बायुस युद्ध बलिबन्ड ।।
दुंणा रंग तिहि दीजिये , पराक्रम भीष्म प्रचंड ।।16।।
संत शिरोमणि सज्जन चित , राम भजन दिल रंग ।।
विमल नीतिवत विदुरजी , रोज दियां घण रंग ।।17।।
सुर दाता दिनकर सुतन , जोधो असाध्य जंग ।।
दत सुवर्ण वांटयो दुनि , राजा करण ज रंग ।।18।।
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