सबरै घरै दीवाल़ी होसी!!
गिरधरदान रतनू दासैड़ी
मन रो तिमिर हरैला दीपक,
उण दिन ही उजियाल़ी होसी!
मिनखपणो होसी जद मंडित ,
देख देश दीवाल़ी होसी!!
जात -पांत सूं ऊपर उठनै,
पीड़ पाड़ोसी समझेला!
धरम धड़ै में बांटणियां वै,
घोषित उण दिन जाल़ी होसी!!
कर्मठता री कदर जिकै दिन,
ठालोड़ा अंतस में करवा!
मैणत री पूजा में भाई ,
हाथ सज्योड़ी थाल़ी होसी!!
सतवादी हरचंद री फोटू,
घर घर रो सिंणगार बणैली!
भ्रष्टाचार कोम रै सारू
तिण दिन भद्दी गाल़ी होसी!!
संविधान गीता री जागा,
जद भान हुवैलो हर जन नै!
मंदर मंदर धजा तिरंगो,
जबरो ठौड़ धजाल़ी होसी!!
न्याय कचेड़ी नहीं बिकैला,
साच रहेला आंच बिनां!
पंच रूप परमेसर तिण दिन,
रीतां खास रुखाल़ी होसी!!
वर्ग भेद री आंधी थमसी,
मिनख मिनख नै मानेलो!
दंभ रो थंभ पड़ेलो तिण दिन,
हाथां दोऊं ताल़ी होसी!!
काल़ी रात अमावस वाल़ी,
सत री राह सूझावेली!
दीपक जोत पांगरै प्रीति,
सबरे घरै दीवाल़ी होसी!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी
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