सो धरती सोढाण
"सुजस सादूळ सोढां रौ"
राणै वीसै रा हुवा,
बिहु सुतन्न बुधवाण।
भुजबळ सादूला भला,
सो धरती सोढाण।।1।।
बड़भागी नर भाखरै,
सिध मन राखी सान।
लूणकरण नै उजाळियौ,
सो धरती सोढाण।।2।।
धरा धज्ज 'सादूळकी',
सादुळ हरां सुथान।
पौह राखण पोहरिया,
सो धरती सोढाण।।3।।
जलमियौ कुसलौ जठै,
सुभ ढूको सैनाण।
कोट थरपियौ ठाकरां,
सो धरती सोढाण।।4।।
पाट धरा चेलार पर,
थिर सादूळां थान।
कीरत बारह कोटड़ी,
सो धरती सोढाण।।5।
जग्गो 'सीयौ 'लक्खौ'
जबर,'बाखर' तणौ वखाण।
तवां भड़ 'सादूळ'तणा,
सो धरती सोढाण।।6।।
'गोपो''देवौ'गाढवर,
'खियौ'गुणां री खाण।
धज सपूत सातूं धड़ै,
सो धरती सोढाण।।7।।
मोटे चित रण मांडियो,
करण कुसल कल्याण।
गौ वाहरू शिवो गिणां,
सो धरती सोढाण।।8।
भोम सुतन सोनो भलो,
जबरी राखण जाण।
तवां भड़ चेलार तणौ,
सो धरती सोढाण।।9।।
जूझो चेलार जलमियौ,
माहव राखण माण।
सादूळां दाता सिरै,
सो धरती सोढाण।।10।।
आंबूं उदर ऊपनियो,
इदकी राखण आण।
एकल जलम उजालियौ,
सो धरती सोढाण।।11।
ठेळ रचाई ठाकरां,
दाता परखण दान।
उण ठौड़ ऊंठ आपियो,
सो धरती सोढाण।।12।
धरा चेलार दीपियौ,
रंग सादूळ राण।
वहता ओठा बगसिया,
सो धरती सोढाण।।13
मोटे चित मासींग रै,
मागण राख्यो माण।
ईढ नह हुवै आपरी,
सो धरती सोढाण।।14।।
जूझै सोढे जेहड़ो,
दीठो नह दिलवान।
चित नह उतरै जाचकां,
सो धरती सोढाण।।15।
कही कीरत कवेसरां,
अखियातां उनमान।
साख चहुंदिसां संचरी
सो धरती सोढाण।।16
चवां चेलार चेहनो
जनक 'जूझार' जाण।
कुळां उजाळण कीरती
सो धरती सोढाण।17।।
पारस आंबौ पाटवी
गुणी पूत गूमान ।
चावा नर चेलार रा
सो धरती सोढाण।18।।
सोढ भलो खानेस सुत
तपियो आबू ताण।
गिणां भोज मुनि गूंगिये,
सो धरती सोढाण।।19
नगौ 'लाल'घर ऊपनौ
धेनां राखण ध्यान।
चौपट खेल्यौ चाव सूं
सो धरती सोढाण।।20
दाव दियो न तरवट नै
बाजी ली बुधवाण।
तड़ लिखवायौ 'तरवटां'
सो धरती सोढाण।।21।
केसव सुत 'मनरो' कहूं,
भलो भाखरां भाण।
ध्रम साटे जीवण दियो
सो धरती सोढाण।।22
माने मीठू जेळ में,
भलो भज्यो भगवान।
प्रभू नै आणो पड़ियो,
सो धरती सोढाण।।23।।
भैर हठू बांधव भणू,
महियर राखण माण।
महिमा माणी धाट में
सो धरती सोढाण।।24।।
हुवौ गेमरौ गाढवर
हठू घरै हुलसाण।
बांटी सोबतड़ी वळै
सो धरती सोढाण।।25।।
इंद्र उणो जिस ऊपनौ
हठू तणौ हुलराण।
भागी थोड़ो भळकियौ
सो धरती सोढाण।।26
सेहरत लिवी सरजमी
पुरखा करम प्रमाण।
ठावा चावा पींगटी
सो धरती सोढाण।।27।।
सोढो सादूळौ सिरै
जगमालां घण जाण।
पाबूबैरे पाकियौ
सो धरती सोढाण।।28।।
हुवौ गाढवर गरड़िये
खेतौ सोढ सुजाण।
अमरेसा सुत ऊजळौ
सो धरती सोढाण।।29।।
राणौ रमियौ उण धरां
जस जगमालां जाण।
पूत पृथ्वीराज तण,
सो धरती सोढाण।।30।।
मांदोड़ै मघौ जलम,
इदकी राखण आण।
सौरम सादूलां घणी
सो धरती सोढाण।।31।।
भोम सुतन दोनूं भला
जलम काटियै जाण।
वींझौ ज्वारो जबरौ
9सो धरती सोढाण।32।।
भागी राणौ भाखरां
जींझीयर घण जाण
जीवराज पितु पूणियै,
सो धरती सोढाण।।33।।
रहण सहण रणजीत री
जींझीयर तण जाण।
भलो सोढ भवसिंघ रौ
सो धरती सोढाण।।34।।
बिटड़ां भड़ हंजौ हुवौ
सादूळां कुळ सान।
फूल तळै खीमौ तवां
सो धरती सोढाण।।35।।
सोढ सुखौ सरदार सुत
सादूळां सुभियाण।
कूप खुदायौ नीर कज
सो धरती सोढाण।।36
इण कुळ नोंघौ ऊपनौ
अणदै राखण आण।
पैठ बढाई पींगटी
सो धरती सोढाण।।37।।
विसनो सुत रणजीत रो,
अरनरै तणी आण।
ठौर ठसक 'ठोभाळियै'
सो धरती सोढाण।।38
अमर बनौ घर ऊपनौ
जबर सुपातर जाण।
ख्यात खेजड़ाळै खरी
सो धरती सोढाण।।39।।
ठावा गोपा मिठड़ियै
जालमै तणी जाण।
ऊजळ राखी आबरू
सो धरती सोढाण।।40।।
जोधो सादूळो जबर
तैजो तणो वखाण।
महिमा माणी मिठड़िये
सो धरती सोढाण।41
दाखां दानौ मिठड़िये,
गोपां तणो गुमान।
हरनाथै हुलरावियौ
सो धरती सोढाण।।42।।
सूरौ सादूळां सही
देवै हंदो डाण।
रंग मिठड़ियै राखियौ
सो धरती सोढाण।।43।।
भाडाळी ओनौ भयौ
सज्जण नै सुभियाण।
जस जगमालां जोड़ियौ
सो धरती सोढाण।44
वींझौ डाहाली हुवौ
सुत रणमल्ल सुजाण।
सोभा सादूळां सही
सो धरती सोढाण।।45।।
चरकाळी आंबौ चवां
वींझल सुत गुणवाण।
भूरासर लीधी भलप,
सो धरती सोढाण।।46।
गिणां माहसिँघ गूँगियै
पिता जिती पहचाण
रावत रौ पोतो भले,
सो धरती सोढाण।।47।।
मांदोड़ै सेरौ मुणां
रंग रूपाळौ जाण।
सादूळां लीधो सुजस
सो धरती सोढाण।।48।।
तवां सोढ पांचू तळै,
राखण छती पिछाण।
रतनहरा रांगड़ हुवा
सो धरती सोढाण।।49।।
सोढ भलो सुरतेस रौ
नर नेतौ गुणवाण।
अंजसियौ आसापुरै
सो धरती सोढाण।।50।।
डायौ सोढो डूंगरौ
धीराणी धिनवान।
रौनक राखी रोझड़ी
सो धरती सोढाण।।51।।
चावौ नेतो चंदनौ
सुरतै रौ सुभियाण।
नांव कमायौ नींबलै
सो धरती सोढाण।।52।।
भड़ नामी भीभाणियां
गुणी लीधो गुमान।
चाहड़ियाई चित बणी
सो धरती सोढाण।।53।।
सिद्ध मनां सादूळहर
सदा सवाई शान।
सिरै सपूताई रही
सो धरती सोढाण।।54।।
@संग्राम सिंह सोढा
सचियापुरा बज्जू
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