मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

सोरठा- सुमिर सदा सतनाम

सोरठा- सुमिर सदा सतनाम

*कर कीरत रा काम   सतमारग चलणो सजग*
*सुमिर सदा सतनाम   अवर न दूजौ आसरो*

*निस्चै रहसी नाम  नांणां पण रहणां नहीं*
*सुमिर सदा सतनाम.  दिनड़ा जावै दौड़िया*

*तज दे तंत तमाम.  अंत समै आणौ अवस*
*सुमिर सदा सतनाम. पासी मुगती जीव पण*

*डीलां ऊपर डांम.   सबद बांण लाग्या सबल*
*सुमिर सदा सतनाम    सुरगलोक में सरवरा*

*ठाला ठीकर ठाम.  पिंजर तन पीळा पडै*
*सुमिर सदा सतनाम. अजर अमर इक आतमा*

*निरभै निरख निजाम. निवण निरंजन नाथ ने*
*सदा सुमिर सतनाम  सत साहिब सुभ साधना*

*रतनसिंह चाँपावत रणसीगाँव कृत*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें