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मुक्तक
कानून रै मांय कुबद् यां री गळ्यां कढगी बळतै दिनां मांय हाकमां री हरकत बढगी किणनै सुणावै खेत दर्द री आ कहाणी जबरो जंजाळ है,बाङ खेत खावण चढगी !!
✍ मातु सिंह राठौङ
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