गुरुवार, 23 नवंबर 2017

सीयाले री खम्मा-घणी

ठण्ड पड़े है जोरगी, पतली लागे सौड़ ।
चाय पकौड़ी मुंफली, इण सर्दी रो तोड़ ।।

डांफर चाले भूंडकी , चोवण् लाग्या नाक ।
काम्वल  राखां ओढगे , सिगड़ी तापा हाथ ।।

काया धूजे ठाठरे,  मुँडो छोड़े भाप ।
दिनुगे पेली चावड़ी, न्हाणो धोणो पाप ।।

गूदड़ माथे गूदडा , ओढ्यां राखो आप ।
ताता चेपो गुलगुला, चा चेपो अणमाप् ।।

सीयाले री खम्मा-घणी

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