काहे जग माँही आयो हो थोड़ो तो बिचार कर
काहे मिनख जमारो पायो हो थोड़ो तो बिचार कर
मरणु मायर बाप रो मांडण वालो
कुण तन जलम बगसायो हो थोड़ो तो बिचार कर।।
बड़ा बड़ा बंगला म बसणु
शहरां माहीं जा जा धसणु
साथ्यां लार् खुला प्इस्या
साखीणा तैं मुठ्ठी कसणु
धन री धौंस दिखावण वालों
कुण तन धनिक बणायो हो
थोड़ो तो बिचार कर
काहे जग माही आयो हो नर थोड़ो तो........
काठी तिड़की हुंया स्यूं उठै
बात बात पर ही तू रूठै
चौक्यां, चुगल्यां, ताश तमाशा
ठी ठी हा हा मुंह स्यूं फूठै
घर घर फिर फिर दिन अन्थावण वाळो
ईयां करयाँ कुण खजाणु पायो हो
थोड़ो तो बिचार कर।।
(मॉब्स अमरावत)
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