दारू रा सोरठा
नशो घटावै नूर, काढै परतख काळजौ।
घर रा देखै घूर,पी मत दारू पीथला।।1।।
काढै दिनड़ा कूक,कंथा थारी कामणी।
हीयै उपजे हूक, पी मत दारू पीथला।।2।।
पंचां में पहचाण,परतख जावै पेखलौ।
कुरब है नंह काण,पी मत दारू पीथला।।3।।
गैणा दिया गमाय,रेवै मरवण रींकती।
इजत दीवी उडाय,पीवत दारू पीथला।।4।।
आवै घर अधरात, डगमग कदमां डोलतो।
घालै घर में घात,पी पी दारू पीथला।।5।।
खायौ बेच'र खेत,तोडां बेची तीखली।
रूपो रळगौ रेत, पी मत दारू पीथला।।6।।
हरदम करतौ हेत, पीव जद नंह पीवतौ।
मुख डोडौ कर देत,पीतां दारू पीथला।।7।।
हरदम मद सूं हेत, राखै मन रौ राजवी।
हेरै नांही हेत,परणी सूं औ पीथला।।8।।
लाणत इणरै लार,देह लगावै दोखड़ौ।
धीजौ मन में धार,पी मत दारू पीथला।।9।।
कलम ना ही किताब, रेवै टाबर रींकता।
खोटा छोड़ खवाब,पी मत दारू पीथला।।10।।
अन लावै उधार, मूंगी मरवण मांगनै।
पड़सी किंकर पार,पीतां दारू पीथला।।11।।
पायल करदी पार,बाजू मेंमद बेचतां।
अब तो लियै उधार, पीवण दारू पीथला।।12।।
करदी थारै लार, मूंगी मरवण माइतां।
सत री बातां सार,पी मत दारू पीथला।।13।।
नैणां घटजा नेह, तनड़ौ जावै तूठतो।
सैण दिखावै छैह,पी मत दारू पीथला।।14।।
डग भरतां डगरांह,ठकै जावै ठावका।
लै घर लड़थड़तांह,पी मत दारू पीथला।।15।।
बोले हस हस बात, पीयां पैली प्रेम'सूं।
कै घूंसा कै लात,पीतां दारू पीथला।।16।।
लेटै आखी रात,मैली गळियां मांयनै।
आवै ढळती रात,पी मत दारू पीथला।।17।।
छावै नांही छात,छपर पुराणै ऊपरां।
आसव मांही आस,परी गमावै पीथला।।18।।
जूंझै ऐ जबराळ, कीचड़ मांही लेटतां।
बणै भला विकराळ,पीतां दारू पीथला।।19।।
करै माईत कोड,मन में मोद मनावतां।
छेकड़ जावै छोड़,पीतां दारू पीथला।।20।।
मूंडै ऊपर मूत,कोड मनावै कूकरा।
जरकावै धण जूत,पीयां पाछै पीथला।।21।।
दोखी भल दारूह,क्षत्री वरण समाज'रौ।
इजत अर आबरूह,फगत गमावै पीथला।।22।।
करै खोटला काम,मद पीयां थी मानवी।
ऊजळ कुळ रौ नाम, परौ गमावै पीथला।।23।।
मिळगी मूंगै मोल,जूणी मिनखा जीव'री।
मत कर डांवाडोल, पी-पी दारू पीथला।।24।।
सरावै जग संसार, प्याला पीतां प्रेम'रा।
सौ ही बातां सार,पी मत दारू पीथला।।25।।
कुँ. पृथवीराजसिंह बेरू'पीथळ' कृत
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