ताण मूंछ तोलै घणा, परतख भुजबल पाण |
रण मांये राता रहे,रूड़ौ राजसथान||
धरम राख्यौ इण धरा, राखी ही रजवांण |
अरि-दल काट्या आवतां, रूड़ौ राजसथान ||
पन्ना पदमण कीरती, बहुविध करूं बखाण |
निपजै सतवंत नारियां, रूड़ौ राजसथान ||
ना दे शीष न्ह दे धरा, पाथळ जी परमाण |
रजवट रे कज रण चढे, रूड़ौ राजसथान ||
पतळी पहरै पगरखी, सिरै पागड़ी शान |
कुंडल पहरै कान में, रूड़ौ राजसथान ||
वीरमदे री वारता, गोगा रा गुणगान |
पाबू परवाड़ा पढे, रूड़ौ राजसथान ||
सिंह चढै माँ शारदा, भैरव हो अगवांण |
करणी माता करनला, रूड़ौ राजसथान ||
भड़बंका रो भरतपुर, जोधा रो जोधाण |
सुरताण नर सिरोहियो,रूड़ौ राजसथान ||
🙏🌹हनुमान सिंह सवाईगढ 🌹🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें