रजपूती रा हाथ
धरणी धाड़ा आवता, धर पर करवा घात।
उण दिन आडा आवता,रजपूती रा हाथ।।
अरब दळ इत आविया,काळ अंधारी रात।
आशा दीप जलावता,रजपूती रा हाथ।।
देवी दोय रिझावता,दुरगा सुरसत साथ।
कलम र कटार एक सा,रजपूती रा हाथ।।
जीवत सगत इत्त अगन जळी, चली सरग पथ साथ।
गढां महलां र झुंपड़ां,रजपूती रा हाथ।।
भाखर भाखर वो भिड्यो, भड़ ले भीलां साथ।
देखो पातळ दाखव्या,रजपूती रा हाथ।।
अधफेरा पाबु उठ्यो,सोढ़ी सुरगां साथ।
परण मरण वरण सरखां,,रजपुती रा हाथ।।
भट्ट नाग भीनमाल रो, अड़ियों अरबां साथ।
रखी रसातल जावतां,रजपूती रा हाथ।।
भीनमाल के नागभट्ट प्रतिहार ने अजेय अरबो की आंधी को सिंध के पार रोक दिया था।
परणयो न पतशाह घर,वरयो अपसर साथ।
सोनगरो वीरम सिरे,रजपूती रा हाथ।।
औरंग जद अजीत पर,करी घात पर घात।
दुरगे देश रुखाळयो,रजपुती रा हाथ।।
दिल्ली र ढूंढाड़ धर,पज्वन पीथल साथ।
रण आंगण रमियां जबर,रजपूती रा हाथ।।
गजनी सुं गोगो अड्यो, बेटा पोता साथ।
सेंभरिये दाख्या जगत,रजपूती रा हाथ।।
सिद्धराज जयसिंह सिरे,गुर्जर धर रो नाथ।
कळजग सत जग लावियो,रजपूती रा हाथ।।
डिगता देवळ राखियां,भिड़ मुगलां सुं बाथ।
शिवाजी मराठो सिरे,रजपूती रा हाथ।।
कट कट पुरजा रण रह्या,अमर रही अखियात।
कमध परभु कश्मीर में,रजपूती रा हाथ।।
मेडतियो जैमल सिरे,भगती सगती साथ।
दोनो बाता दाखव्या, रजपूती रा हाथ।।
आया दीधो आसरो,भड़ कीधो भाराथ।
मछरिक हमीर मरटधर,राजपूती रो हाथ।।
कमधज माने साधया, जोग भोग ने साथ।
देखो कळजग दाखलो, रजपूती रा हाथ।।
शंभुसिंघ बावरला
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