बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

पागी

#पग_ढकणा , #पागी , #खुरा , #FOOT_MARKS , #पदचिन्ह
          
     तकनीक से लबालब इस युग से पहले जब कोई अपराध घटित होता था , तो प्रथम सबूत के तौर पर ये तकनीक अपनाई जाती थी ! थार के एक गाँव में कुछ दिन पहले किसी व्यक्ति की थङी को किसी #कुम्माणस नें आग लगा दी , और अपनी मोटर साईकिल से चलता बना !
             प्रात: काल सूचना मिलने पर एकत्र जन समुदाय द्वारा उनके पदचिन्हों को उक्त तगारियों द्वारा ढक दिया गया , ताकि वे चलती हवा के साथ उङती बालू रेत के साथ विलुप्त ना हो जाएँ ! इन पदचिन्हों को पहचानने वाले पागी अब सीमित मात्रा में बचे हैं !
              #गुलाबसिंह_सोढा_मते_का_तला ढाट के नामी पागी थे , जिन्हें सीमा सुरक्षा बल नें शैक्षिक योग्यता को दरकिनार कर साक्षर मात्र होने के बावजूद अपने बेङे में भर्ती किया ! नब्बे के दशक की शुरूआत में जब पश्चिमी सीमा पर तारबंदी नहीं थी और तस्करी अपने यौवन पर थी , तब गुलाबसिंह जी धोरों पर मंडे ऊँट के पाँवों के निशान देखकर बता देते थे कि ये ऊँट इतना समय पहले यहाँ से गुजरा है व इतना वजन उस पर लदा हुआ था ! बिना भार लदे ऊँट के पाँव बालू में कम धँसते थे , जबकि भार लदा होने पर वे धँसे हुए नजर आते थे !
        यही नहीं , वे किसी व्यक्ति के नंगे पदचिन्ह को एक बार देख लेने के बाद वर्षों तक उसकी विशिष्ट पदचिन्ह पहचान को भूलते नहीं थे ! अपने लम्बे कार्यकाल में उन्होंनें पदचिन्हों के आधार पर अनेक अपराधियों को पकङवाकर राष्ट्रसेवा की ! गाँव में किसी भी प्रकार के अपराध घटित होने पर पागियों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही है !
     इन पदचिन्हों की मार्फत पागी अपराधी की पहचान में अब भी समर्थ है , पर अव्वल तो पागी गिने - चुने बचे हैं और आलम ये है कि पहचान हो भी गई तो अपराधी व उसके #पावळिये पागी को अनेक प्रकार के संकटों में डाल सकते हैं ! तब वर्तमान के क्लिष्ट व मूल्यरहित समय की सर्वाधिक प्रासंगिक और प्रचलित उक्ति "#अपने_क्या_है_जाने_दो_भाङ_में " की तर्ज पर वे भी स्वयं को बचाने का जतन करते हुए किनारा कर लेते हैं !
          इन तगारियों के तले ढककर सुरक्षित रखे पदचिन्ह अपराधी की पहचान कर पाएँगे अथवा नहीं , यह वर्तमान दौर में इतना महत्वपूर्ण नहीं है , किंतु उस सौहार्द्रपूर्ण समय की तस्वीर एक बार फिर से याद दिला जायेंगे कि हमारी पीढियों नें इन नायाब और पूर्ण  प्राकृतिक तरीकों से अपने सुदृढ सामाजिक वजूद को बचाए रखा !
           #ढाटधरा अपने समृद्ध सरोकारों से सदैव आबाद रही है ! वातावरण और जीवनयापन हेतु कङे संघर्षों के बावजूद  #ढाटियों नें अपनी प्रबल जिजीविषा के चलते हर तरह से अनुकूलन स्थापित करते हुए अपने आप को आबाद और अद्यतन रखा है !

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