बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

भारत का अंतिम जौहर


भारत_का_अंतिम_जौहर

#एक_हिन्दू_राजा_के_कारण_राजपूतानियों_ने_किया_ज़ौहर

#जाट_राजा_और_मुगलों_की_दोस्ती_का_गवाह_बना_एक_जौहर

#लकड़ियों_के_अभाव_में_गोले_बारूद_पर_बैठकर_किया_जौहर

पुरे विश्व के इतिहास में अंतिम जौहर अठारहवीं सदी में भरतपुर के #जाट_सूरजमल_ने_मुगल_सेनापति_के_साथ_मिलकर कोल के घासेड़ा के राजपूत राजा #बहादुर_सिंह_बड़गूजर पर हमला किया था। महाराजा बहादुर सिंह ने जबर्दस्त मुकाबला करते हुए मुगल सेनापति को मार गिराया। परन्तु दुश्मन की संख्या अधिक होने पर किले में मौजूद सभी राजपूतानियों ने जौहर कर अग्नि में जलकर प्राण त्याग दिए उसके बाद राजा और उसके परिवारजनों ने शाका किया।

#अगर_जाट_राजा_सूरजमल_ने_मुगलों_से_संधि_नहीं_की_होती_तो_इतना_भयावह_जौहर_(#गोला-बारूद ) #राजपूतानियों_को_नहीं_करना_पड़ता।

#राजपूताने_का_अंतिम_जौहर

राजपूताने का अंतिम जौहर घासेड़ा के राव बहादुर सिंह बड़गूजर के शासनकाल में हुआ था |

राव बहादुर सिंह बड़गूजर के पिता हस्ती सिंह एक बागी थे |दिल्ली - हरियाणा की सीमा पर कॉल परगना ( अलीगढ़ ) पर राव बहादुर सिंह बड़गूजर का राज था |
हरियाणा में स्थित घासेड़ा की जागीर के अंतर्गत स्थित घासेड़ा के दुर्ग पर राव बहादुर सिंह बड़गूजर का कब्जा था | राव बहादुर सिंह बड़गूजर बेख़ौफ़ होकर अपने राज्य पर राज करता और लगातार मुगलों से लोहा लेता था , लेकिन यह बात मुग़ल सल्तनत के लिए असहनीय थी |

सूरजमल जाट और मुग़ल सल्तनत दोनों ही राव बहादुर सिंह बड़गूजर पर कई बार दबाव बनाते थे |
पर स्वाभिमानी राजपूत मुगलों के अधीन रहना स्वीकार नही करता है |

जहां औरंगजेब पूरे भारत के राजपूतों को मुस्लिम बनाने में लगा रहता है वही राव बहादुर सिंह बड़गूजर अपने धर्म के प्रति अडिग रहता है और शान से राजपूतों की पताका लहराता है | यह बात मुगलों को खटकती है |

शहंशाह औरंगजेब के सेनापति वजीर सफदरजंग , जो घासेड़ा के राव बहादुर सिंह बड़गूजर से कट्टरता रखता था , ने राव बहादुर सिंह बड़गूजर को एक पत्र भिजवाया जिसके अंतर्गत उसने कॉल परगने से तोपो को हटाने के लिए कहा |
राव बहादुर सिंह बड़गूजर ने मुगलों के हुक्म की नाफ़रमानी की और इसके बदले उसने मुगलों ने कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया जिससे उसे भारी मात्रा में गोला -- बारूद मिले |
जब इसकी जानकारी वजीर सफदरजंग को मिली तो उसने घासेड़ा पर आक्रमण करने की सोची और अपनी सहायता के लिए #भरतपुर_के_राजा_सूरजमल_जाट_को_कहा |भरतपुर के राजा सूरजमल जाट ने गूगल सेनापति से मित्रता करके अपने पुत्र को आक्रमण करने का आदेश दिया।
सूरजमल के बेटे #जवाहर_सिंह ने कॉल परगने को घेर लिया | इस समय राव बहादुर सिंह बड़गूजर अपने पैतृक जागीर घासेड़ा में थे |

फरवरी - अप्रैल 1753 ई.

#सूरजमल_जाट ने घासेड़ा को चारों ओर से घेर लिया |
उसने अपने बेटे जवाहर सिंह और वजीर सफ़दरजंग को किले के उत्तरी छोर पर तैनात किया |
दक्षिण छोर पर बख्शी मोहनराम , सुल्तान सिंह , वीर नारायण समेत अपने भाइयों को तैनात किया |

#सूरजमल_खुद_5000_मुग़ल_जाट सेना सहित किले के मुख्य द्वार ( पूर्वी द्वार ) पर तैनात हुआ |
और बालू जाट के साथ कुछ मुग़ल सैनिक छोड़ उसे कहा कि जिस मोर्चे पर जरूरी हो पहुंच जाए |
घासेड़ा किला चारों ओर से घिरे जाने के कारण पहले दिन की लड़ाई में बड़गूजरों को काफी क्षति होती है |
राव बहादुर सिंह बड़गूजर का भाई जालिम सिंह और उसका बेटा कुँवर अजीत सिंह काफी ज़ख्मी होते है |
मुगल -- जाट सेना को भी नुकसान होता है |
कुछ दिनों तक युद्ध ऐसे ही चलता रहता है |
#सूरजमल_जाट किले में मौजूद #गोले_बारूद की चाह में एक सन्धि-प्रस्ताव भेजता है |
जिसमे वो किले का मोर्चा उठाने की बाबत में 10 लाख रु , गोला - बारूद और तोप मांगता है और आत्मसमर्पण करने को कहता है |
लेकिन राव #बहादुर_सिंह_बड़गूजर ने स्वाभिमान के विरुद्ध आत्मसमर्पण करने से मना कर देता है और सन्धि करने से मना कर देता है |
इसी बीच राव बहादुर सिंह बड़गूजर का भाई ज़ालिम सिंह का देहांत हो गया |रात को भीषण युद्ध होता है |

23 अप्रैल 1753 ई.

अगली सुबह मीर मुहम्मद पनाह , आलमगीर , नैनाराम सहित मुग़ल जाट सेना घासेड़ा में घुस जाती है |
बड़गूजरों और मुग़ल-जाट सेना में काफी भयानक युद्ध होता है | दोनों ओर से कई सैनिक मारे जाते है |
राव बहादुर सिंह बड़गूजर अपने पुत्र कुँवर अजीत सिंह के साथ केसरिया बाना पहनकर मुग़ल - जाट सेना पर भूखे सिंह की भांति टूट पड़ता है |
राव बहादुर सिंह बड़गूजर अपनी टुकड़ी के साथ सूरजमल जाट वाली टुकड़ी पर आक्रमण करता है |
राव बहादुर सिंह बड़गूजर द्वारा मार - काट मचता देख सूरजमल जाट कुछ हद तक डर जाता है और पीछे हटता है कि तभी बालू जाट मुग़ल सेना की एक टुकड़ी लेकर सुरजमल जाट की सहायता के लिए आ जाता है |
जिससे राजपूतों का मनोबल टूट जाता है |
वहीं दूसरी ओर कुँवर अजीत सिंह अपनी सेना के साथ वजीर सफदरजंग की टुकड़ी पर हमला करता है |
कुँवर अजीत सिंह की तलवार से वजीर सफदरजंग के पास वाले सिपहसालार का सर कट जाता है जिससे वजीर सफदरजंग डर जाता है |
तभी सुल्तान सिंह के कहने पर वीरनारायण वजीर सफदरजंग की सहायता के लिए आ जाता है |
उधर सुल्तान सिंह दक्षिण द्वार तोड़ कर मुग़ल सेना के साथ अंदर आ जाता है | जिसे रोकने के लिए 60 - 70 राजपूत सैनिक आगे आते है पर मुग़ल सेना ज्यादा होने के कारण सभी मारे जाते है |
यह सभी इतना जल्दी और अचानक होता है कि राजपूतों को जवाबी कार्यवाही का समय ही नही मिलता |
एक समय के लिए किले में मौत का तांडव हुआ सा प्रतीत होता है |
सभी ओर से जीत की कोई उम्मीद नही होने पर राव बहादुर सिंह की पत्नी , पुत्री राजपरिवार की महिलाओं के साथ अन्य राजपूत क्षत्राणियां और किले में मौजूद सभी महिलाएं जौहर करती है |
#किले_में_लकड़ियों_के_नही_होने_की_वजह_से_क्षत्राणियां_गोले_बारूदों_पर_बैठ_कर_जौहर_करती_है और मुग़ल सेना से अपनी सतीत्व की रक्षा करती है |

#सूरजमल_जाट_और_मुगलो_का_तिल्सिम_उस _वक़्त टूट जाता है जब वो देखते है की किले में लकडिया न होने के कारण सैकड़ों राजपूत महिलाएं जौहर की रस्म गोला और बारूद पर करती है और इतिहास में अमर हो जाती है।

#इतिहास_में_यह__संभवत_पहला_मौका_होता_है_जब_जौहर_की_रस्म_किसी_हिन्दू_राजा(सूरजमल_जाट)#के_सामने_हुयी_हो।

उधर राव बहादुर सिंह बड़गूजर , कुँवर अजीत सिंह शाका करते हैं और युद्ध मे मारे जाते है |
यह जौहर राजपूताने का अंतिम जौहर होता है |
इस जौहर के बाद राजपूताने में कोई और जौहर नही हुआ |
सभी क्षत्राणियों को नमन जिन्होंने धर्म पर अडिग रहकर
राजपूतों की परंपरा का पालन किया |

#मुग़ल_सल्तनत_ओर_जाट_सेना_के आगे राजपूतों ने आत्मसमर्पण नही किया और क्षत्रिय धर्म का पालन किया |

पेज राजपूताना रियासत

कुंवर महेंद्र सिंह राठौड़

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1 टिप्पणी:

  1. सूरजमल स्वयं विशुद्ध हिन्दू नहीं था, वह एक मिक्स ब्रीड से उत्पन्न अवसरवादी राजा था

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