राणा
म्हासूं गोविन्द तज्यो न जाय।।
बालापन मैं जिण संग ब्याही लीना फेरा खाय
वो ही म्हारो सांचो प्रीतम साँची कहूँ समझाय।।1।।
नाम रटूं दिन रात निरंतर आठ पहर यदुराय
साँस साँस में श्याम बस्यो है किण बिध दयूं बिसराय।।2।।
जहर पियालो आप भेजियो अमृत दियो बनाय।
सर्प पिटारो हाथे सोप्यो हार गले पहणाय।।3।।
म्हे तो मोहन हाथ बिकानी हाथ न खुद रे हाय
मीरा के प्रभु गिरधर नागर दूजो न कोई सुहाय।।4।।
जय श्री कृष्णा
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