शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

आखर रा उमराव आई जी

मायड़ भाषा राजस्थानी अर मरूधरा री मरजादा रै अँतस री ऊंडी पीड़ रा चावा अर ठावा चितेरा अर मिनखपणै ने  ओपती ओळखांण  देय 'र आपरै पुरसारथ री सीळी सौरम सूं सुवासित कर साहित रै गिगनार में उगंता अरक रै उनमान उजास थरपणिया आदरजोग आई दान सिंह जी भाटी  आईजी सा ने आपरै अवतरण दिवस रै मौकै मौकळी बधाई अर रावळै चरणां में सबद सुमन ....

अँगेजण री घणैमान अरदास

आखर रा उमराव आई जी
हिवडे रा हरसाव आई जी

ठाकरबा री ठावी ठौड़ां
देखी बालपणै री दौड़ां
टाबर टोळी ओळै दोळै
घर गुवाड़ी मिसरी घोळै
आंगण रा ऊमाव आईजी
हिवडे रा हरसाव आईजी
आखर रा उमराव आईजी

मिनखपणौ सीखी मरजादा
सांच बोलणा रहणा सादा
रीत प्रीत रा जबर रुखाळा
अँतस आतम दीप उजाळ.
चित्तडै चढियौ चाव आईजी हिवड़े रा हरसाव आाईजी
आखर रा उमराव आईजी

सबद ब्रह्म री सदा सेवना
खरी बात री करी खेवना
कूड़ कपट तो कदै न कहणौ
निरमल मन अर निरभै रहणो
दिलड़ै रा दरियाव आईजी
हिवड़ै रा हरसाव आईजी
आखर रा उमराव आईजी

माँडै रोज मुळकती माटी
भव री पीड़ उघाड़ै भाटी
जियाजूण रो साम्प्रत लेखो
मीच आँखियां साम्ही देखो
दुनिया रा दरसाव आईजी
हिवड़ै रा हरसाव आईजी
आखर रा उमराव आईजी

अनमी अटल अवधूत आप हैं
मरुभौम री असल छाप है
धोरा री धरती रो धोरी
सहज उगैरे कवित सजौरी 
छिन छिन शीतल छांव अाईजी
हिवड़े रा हरसाव आई जी
आखर रा उमराव आई जी

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*रतनसिंह चाँपावत रणसीगाँव कृत*

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