शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

पीव आया परदेश सूं

पीव आया परदेश सूं, मीठी मांझल रात।
चढ़ती किरणा मन चुभे,पीळोड़ी परभात।।

धीरज धर जे है मना,रीत जावसी रात।
सुख रो सूरज ऊगसी,पीळोड़ी परभात।।

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