सोमवार, 18 दिसंबर 2017

पतली लागे सौड़

ठण्ड पड़े है जोरगी, पतली लागे सौड़ ।
चाय पकौड़ी मुंफली, इण सर्दी रो तोड़ ।।

डांफर चाले भूंडकी , चोवण् लाग्या नाक ।
काम्वल  राखां ओढगे , सिगड़ी तापा हाथ ।।

काया धूजे ठाठरे,  मुँडो छोड़े भाप ।
दिनुगे पेली चावड़ी, न्हाणो धोणो पाप ।।

गूदड़ माथे गूदडा , ओढ्यां राखो आप ।
ताता चेपो गुलगुला, चा चेपो अणमाप् ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें