मंगलवार, 13 मार्च 2018

घुड़ला

राजस्थान मे एक प्रथा घुड़ला पर्व-

हिन्दुत्व को बचाने के लिये आपके द्वारा इस सत्य से हिन्दुओं को अवगत कराना आवश्यक है नही तो कालांतर मे अर्थ का अनर्थ हो सकता है !

मारवाड़ में होली के बाद एक पर्व शुरू होता है ,
   जिसे घुड़ला पर्व कहते है ।

जिसमें कुँवारी लडकियाँ अपने सर पर एक मटका उठाकर उसके अंदर दीपक जलाकर गांव और मौहल्ले
में घूमती है और घर घर घुड़लो जैसा गीत गाती है !

अब यह घुड़ला क्या है ?
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कोई नहीं जानता है ,
घुड़ला की पूजा शुरू हो गयी ।

यह भी ऐसा ही घटिया ओर घातक षड्यंत्र है
जैसा की अकबर को महान बोल दिया गया !

दरअसल हुआ ये था की घुड़ला खान अकबर का
मुग़ल सरदार था और अत्याचारऔर पैशाचिकता
मे भी अकबर जैसा ही गंदा पिशाच था !
ज़िला नागोर राजस्थान के पीपाड़
गांव के पास एक गांव है कोसाणा !

उस गांव में लगभग 200 कुंवारी कन्याये
गणगोर पर्व की पूजा कर रही थी, वे व्रत में थी
उनको मारवाड़ी भाषा में तीजणियां कहते है !

गाँव के बाहर मौजूद तालाब पर पूजन करने के लिये
सभी बच्चियाँ गयी हुई थी ।उधर से ही घुडला खान मुसलमान सरदार अपनी फ़ौज के साथ निकल रहा था,उसकी गंदी नज़र उन बच्चियों पर पड़ी तो उसकी वंशानुगत पैशाचिकता जाग उठी !

उसने सभी बच्चियों का बलात्कार के उद्देश्य से
अपहरण कर लिया , जिस भी गाँव वाले ने विरोध
किया उसको उसने मौत के घाट उतार दिया !
इसकी सूचना घुड़सवारों ने जोधपुर के
राव सातल सिंह राठौड़ जी को दी !

राव सातल सिंह जी और उनके घुड़सवारों ने
घुड़ला खान का पीछा किया और कुछ समय मे
ही घुडला खान को रोक लिया।

घुडला खान का चेहरा पीला पड़ गया उसने
सातल सिंह जी की वीरता के बारे मे सुन रखा था !

उसने अपने आपको संयत करते हुये कहा, राव तुम मुझे नही दिल्ली के बादशाह अकबर को रोक रहे हो इसका ख़ामियाज़ा तुम्हें और
जोधपुर को भुगतना पड़ सकता है ?

राव सातल सिंह बोले ,
पापी दुष्ट ये तो बाद की बात है पर अभी तो में तुझे
तेरे इस गंदे काम का ख़ामियाज़ा भुगता देता हूँ !

राजपुतो की तलवारों ने दुष्ट मुग़लों
के ख़ून से प्यास बुझाना शुरू कर दिया था ,
संख्या मे अधिक मुग़ल सेना के पांव उखड़ गये ,
   भागती मुग़ल सेना का पीछा कर ख़ात्मा
       कर दिया गया !

राव सातल सिंह ने तलवार के भरपुर वार से
घुडला खान का सिर धड़ से अलग कर दिया !

राव सातल सिंह ने सभी बच्चियों को मुक्त करवा
       उनकी सतीत्व की रक्षा करी !

इस युद्ध मे वीर सातल सिंह जी अत्यधिक घाव
    लगने से वीरगति को प्राप्त हुये !

उसी गाँव के तालाब पर सातल सिंह जी का अंतिम संस्कार किया गया, वहाँ मौजूद सातल सिंह जी की समाधि उनकी वीरता ओर त्याग
      की गाथा सुना रही है !

गांव वालों ने बच्चियों को उस दुष्ट घुडला खान
       का सिर सोंप दिया !

बच्चियो ने घुडला खान के सिर को घड़े मे रख कर उस घड़े मे जितने घाव घुडला खान के शरीर पर हुये उतने छेद किये और फिर पुरे गाँव मे घुमाया और हर घर मे रोशनी की गयी !

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