सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

तूं झल्लै तरवार!

तूं झल्लै तरवार!

गिरधरदान रतनू दासोड़ी

राजस्थान रै इतिहास में जोधपुर राव चंद्रसेनजी रो ऊंचो अर निकल़ंक नाम है।अकबर री आंधी सूं अविचल़ हुयां बिनां रजवट रो वट रुखाल़ण में वाल़ां में सिरै नाम है चंद्रसेनजी रो।राष्ट्रकवि दुरसाजी आढा आपरै एक गीत में लिखै कै उण बखत दो आदमी ई ऐड़ा हा जिणां रो मन अकबर रो चाकर बणण सारू नीं डिगियो।एक तो महाराणा प्रताप अर दूजा राव चंद्रसेनजी जोधपुर-
अणदगिया तुरी ऊजल़ा असमर,
चाकर रहण न डिगियो चीत।
सारां हिंदूकार तणै सिर,
पातल नै चंद्रसेण पवीत।।
महावीर चंद्रसेनजी ई उण बखत रै छल़ छदमां अर राजनीत रै दुष्चक्रां री चपेट आयग्या ।जिणसूं मारवाड़ रै गुमेज पानो अणलिखियो ई रैयग्यो।
चंद्रसेनजी री सतति घणा विखा भोगिया तो थापित हुवण सारू घणा भचभेड़ा खाया।ऐड़ै संक्रमणकाल़ में
चंद्रसेनजी रो पोतरो कर्मसेनजी पातसाह जहांगीर रै जाय रह्या।जहांगीर उणांनै वडो वीर अर साहसी मिनख जाण हाथी रै होदै खवासी में राखिया।कर्मसेनजी जितरा नामी वीर हा उतरा ईज मोटा दातार।उणांरै कनै सूं राज गयो पण उणां रीत नीं जावण दी-

कम्मो कमावै खाय कव,
कै ओल़ग्गै मग्ग।
नाट न देवै राठवड़,
पाट वडेरां पग्ग।।
बात चालै कै उणी दिनां  मारवाड़ रो एक चारण कर्मसेनजी सूं मिलण उठै गयो।
साधारण चारण पातसाह रै दरबार में पूग नीं सकियो।उणनै किणी बतायो कै कर्मसेनजी पातसाह रै खवासी में है अर उणां तक पूगणो घणो आंझो है।लोगां बतायो कै   प्रभात री पातसाह री सवारी अमुक मारग हुयर निकल़सी सो आप किणीगत कोई तजबीज लगाय'र मिल सको तो मिललो।वो चारण मारग में आए एक विरछ रै शिखरियै डाल़ै  चढ'र बैठग्यो।
ज्यूं ई सवारी आई तो चारण देखियो कै मारवाड़ रो महावीर पातसाह रै लारै बैठो छत्र ढोल़ै!राव चंद्रसेनजी रो पोतरो अर आण रो रखवाल़ कर्मसेन ओ कांई ओछो काम अंगेजियो है? जिणरै ऊपर छत्र ढुल़णो चाहीजै वो इतरो विखायत हुयग्यो कै करण अकरण रो इणनै ठाह नीं रह्यो।
उण चारण नै आपरा गाभा खावण लागग्या ! बूकियां रै बटक्यां बोड़ण लागो।
ज्यूं ई सवारी कनैकर निकल़ रैयी है कै चारण आपरी ओजस्वी वाणी में बोलियो-
कम्मा उगरसेन रा,
तो हत्थां बल़िहार।
छत्र न झल्लै शाह रा ,
तूं झल्लै तरवार।।
ज्यूं ऐ ओजस्वी आखर कर्मसेनजी रै कानां पड़िया उणां अजेज उठीनै जोयो जठीनै सूं आवाज आई। ज्यूं ई दोनां री आंख्यां मिल़ी ।चारण भल़ै उणी ओजस्वी वाणी में कह्यो
मरै ममूकै माण,
माण ममूकै मर मरै।
पिंजर जब लग प्राण,
तबलग ताडकतो रहै।।
कर्मसेनजी उणी बखत  बिनां किणी सोच रै  छत्र अर चंवर छोड'र अंबाड़ी सूं नीचै कूदग्या।
सवारी ठंभगी।
अफरातफरी मचगी।पातसाही सेवग रो इणगत पातसाह री सेवा सूं कूदणो अक्षम्य अपराध हो। कर्मसेनजी कोई विद्रोही तो हा नीं अर नीं वै सामघाती हा।वै उण चारण कानी बैया अर चारण नीचै उतर'र उणां कानी लंफियो। कर्मसेनजी अर चारण  नै पातसाही सेवगां पकड़ लिया।पातसाह  कीं कैवतो उणसूं पैला ई  किणी अरज करी कै -"जहांपनाह !इणनै इण रूंख माथै बैठे आदमी कीं कैयर भिड़कायो है।जितो ओ दोषी है उणसूं बतो वो आदमी दैषी  है।" आ सुण'र जहांगीर खारी मींट सूं  चारण कानी जोवतां कह्यो कै-"तनै ठाह है कै पातसाह रै खिलाफ किणी नै भिड़कावणो कितरो मोटो अपराध है? अर इणरी कितरी अर कांई सजा मिल सकै?"
आ सुण'र उण चारण कह्यो -हुजूर !म्हे तो चारण हां !राजपूत कोई अजोगतो काम करै आ म्हांरै सूं सहन नीं हुवै।ओ मारवाड़ रै धणी चंद्रसेनजी रै बेटे उग्रसेनजी सपूत है ।इणरी रगां में उण चंद्रसेन रो रगत प्रवाहित हुवै जिण आखी ऊमर आजादी रो झंडो उखणियो राखियो।इणनै तो पातसाह रै खिलाफ तरवार ताणणी चाहीजै जिको ओ छत्र ढोल़ण री सेवा करै!इणसूं नाजोगी कांई बात हुसी?राजपूत है! तरवार रै बल़ सेवा करणी चाहीजै।म्हैं तो इणनै इतरो ईज कह्यो है तूं पातसाह रो  छत्र मत झाल  तरवार झाल !!इणसूं बतो कीं नीं कह्यो जको आप भिड़कावण री बात मानो।म्हैं इणनै आ नीं कैतो तो म्हैं  आफरो आय'र मर जावतो--
म्हे मगरै रा मोरिया,
काकर चूण करंत।
रुत आयां बोलां नहीं,
(तो)हीयो फूट मरंत।।
चारण री स्वामीभक्ति खरापण अर वाकपटुता नै देख'र पातसाह राजी हुयो हुयो साथै ई कर्मसेनजी रै मनमें  चारण री वाणी आदर अर मोत नै अंगेजण री हूंस सूं ई घणो राजी हुयो।  उण उणी बखत  आदेश दियो कै आगै सूं  कर्मसेन पातसाह रै खास अंगरक्षकां में तैनात रैसी अर सोजत रो धणी हुसी।

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

झूठ

झूठ तो होवे चिकणी ,
गळा सूं उतरे सोरी ।
सांच है थोड़ी करड़ी ,
बुलीजे आ थोड़ी दौरी ।
चटोरा झूठ ने चाटै ,
स्वाद रबड़ी सो लागे ।
साँच ने चाटण रो केवा ,
मिनखड़ा आंतरा भागै ।
भाई झूठ ने पिवण री ,
लाग्योड़ी  लेण है भारी  ।
सांच री नाळ  देणी पड़ै ,
भाई आ चीज है खारी  ।
थू झूठ बोलसी क सांच ,
बता मरजी काई है थारी ।
मत नागो करो जजमान ,
खोलो मत पोल थे म्हारी ।
करे मन मोकळौ म्हारो ,
पण इण रो बोलणो भारी ।

रविवार, 16 सितंबर 2018

रंग रा  दूहा

रंग रा  दूहा
जननी कुख धन जनमिया दुनिया वीर दातार ।।
डोढ़ा रंग तिण दिजिये , सुयश लिया संसार ।।1।।

शिर पड़ियां लड़िया सरस , दीना निज शिर दान ।।
राजन उण रंग दिजिये , जस तिण अमर जहान ।।2।।

कश्यप स्वाम्भुव भूप कहाँ , ऊजल बिरद अनूप ।।
तपसी राजन रंग तिहि , भया आर्यव्रत भूप ।।3।।

अर्क चंद्र अरु ऋषि अगन , समरथ भूप सुजान ।।
वंदिये रंग सह विश्व में , वंश तांहि विद्यमान ।।4।।

सम्पत राज समपे सर्व , भयो नृपत भीखंग ।।
अमूल्य वचन राख्यो अडग , राजा हरिचंद रंग ।।5।।

तपधारी कुळ तारवा , गिर से लायो गंग ।।
अमलां वेळा आपने , राजा भगीरथ रंग ।।6।।

जाचया हाड जोगी तणा , सरव देव मिल संग ।।
दिया हाड कट दान में , रिसीवर दधिचि रंग ।।7।।

भगवन्त निज भिक्षुक भये , निरख दता नवडंग ।।
निश्चय सत चुकयो नहीं , राजा बली ज रंग ।।8।।

नीति धरम निभाड़णो , छेदयो मांस छुरंग ।।
शरणागत सुंपयो नहीं , राज शिबी घण रंग ।।9।।

अहो भाग्यवर अवधपत , अति बळ युद्ध अभंग ।।
पुत्र राम त्रयलोक पत , राजा दशरथ रंग ।।10।।

सांम अवध सेना सघन , सहोदर लक्ष्मण संग ।।
बिहड़यो दशकंधर बली , राम प्रभु घण रंग ।।11।।

प्रचंड सेन बळ पराक्रमी , तोड़ण मद तरसंग ।।
भूप आर्यव्रत भूमि रा , राजा यदु घण रंग ।।12।।

दीन वत्सल दुष्टां दळण , जय कर  पांडव जंग ।।
चीर द्रोपदी सिर चढ़ण , राजा कृष्ण रंग ।।13।।

अवनी ऊपर अवतरे , श्री कृष्ण के संग ।।
हलधर भट दुष्टों हणे , रोज दियां तिण रंग ।।14।।

सतवादी पांडु सतन , सहे कष्ट तन संग ।।
नीति धरम त्यागयो नहीं , राज युधिष्ठर रंग ।।15।

नीति न्याय ज्ञानी नृपत , बायुस युद्ध बलिबन्ड ।।
दुंणा रंग तिहि दीजिये , पराक्रम भीष्म प्रचंड ।।16।।

संत शिरोमणि सज्जन चित , राम भजन दिल रंग ।।
विमल नीतिवत विदुरजी , रोज दियां घण रंग ।।17।।

सुर दाता दिनकर सुतन , जोधो असाध्य जंग ।।
दत सुवर्ण वांटयो दुनि , राजा करण ज रंग ।।18।।


गुरुवार, 13 सितंबर 2018

विनायक- वंदना

विनायक- वंदना--गिरधरदान रतनू दासोड़ी
गीत -जांगड़ो
व्हालो  ओ पूत बीसहथ वाल़ो,
दूंधाल़ो जग दाखै।
फरसो करां धरै फरहरतो,
रीस विघन पर राखै।।१

उगती जुगती हाथ अमामी,
नामी नाथ निराल़ो।
भगतां काज सुधारण भामी,
जामी  जगत जोराल़ो।।२

आगैडाल़ पूजवै अवनी,
सार संभाल़ सचाल़ो।
सिमरै बाल़  स्हायक बणनै,
विणसै दुख विरदाल़ो।।३

परचंड पिंड बडाल़ो पेटड़,
स़ूंड लटकती  सामी। वरदायक माल़ गल़ै वैंजति,
नायक गण घणनामी।।४

बुध रो बगसणहार वदीजै,
काम  अनोखा कोटी।
मुरलोकां सिरताज मुणीजै,
महल़ दोउं घर मोटी।।५

रणतभंवर तणो बड राजा,
शंकर कंवर सुणीजै।
ढिग जग सारो चँवर ढोल़वै,
प्रभता प्रात पुणीजै।।६

आखू तणी चढै असवारी,
भल मन मोदक भावै।
शस्त्रां  करां  अरि -दल़ साजै
अबढी विरियां आवै।।७

एको रदन  ऊजल़ै अंगां,
लाभ शुभां रो लेखो.
आगर ग्यान तणो अन्नदाता,
प्रीत निजर निज पेखो।।८

वेदव्यास    तणी सुण विणती,
अमी दीठ भर आयो।
भारत- महा कियो सिग भूमि,
बड कज सहज बणायो।।९

जन रो देव जगत सह जाणै,
नित उठ नाक नमावै।
उर में दया जिणां रै ऊपर,
देव आवै हर दावै।।१०

गणपत  तणी सरण गिरधारी,
धरण ऊपरै धारी।
हरण विघन दास हरसाजै,
सुकवी कारज सारी।।११
आप सगल़ां नै गणेश चौथ री हार्दिक शुभकामनावां।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

शनिवार, 1 सितंबर 2018

उठो जसवंत....

"उठो जसवंत....,
तुम्हें, भट्याणी जसोल पुकार रही,
उठो जसवंत.....,
तुम्हें, मालाणी की धरा पुकार रही,
सो गए तुम निश्चित होकर, चले गए वो राम, जिनके तुम थे हनुमान,
मालाणी की है पुकार, अब जग चूका है स्वाभिमान,
उठो जसवंत ...,
आज़ादी और अर्थ की चोट हमने झेली है,
..मगर अब अहम् पर वज़्रपात  भारी है,
उठो जसवंत ...,
तुम्हे अब मालाणी पुकार रही है,
तुमने राष्ट्र का अभिमान- स्वाभिमान और अरमान बढ़ाया था,
....मगर, हमने तुम्हे मिटाने  कीर्तिमान बनाया है,
अब उठ जाओ जसवंत,
सोवो मत अब, मत रूठो, उसे उठा दो,
..उसे बुला दो, हमे जगा दो, जिसे मालाणी पुकार रही,
..............अब उठो जसवंत"..
साभार : स्वरूप सिंह  चामू ।

मंगलवार, 21 अगस्त 2018

अजी उठ ज्यावो

पत्नी :- अजी उठ ज्यावो, मैं रोटी बणाउ हुँ l

पति :-  तो, मैं कुणसो तुवा पर सूत्यो हूं!!!!

मंगलवार, 7 अगस्त 2018

बीकानेरी हाज़िर जवाबी

ठाकर साहब *जोधपुर* सु अपने भतीजे के शादी  के लिए *बीकानेर* पहुचे..

ठाकर साहब दो दिन से देख रहे थे कि रोज दावत में उनको खाने मे अंडे ही दिए गए..
..सो तीसरे दिन उनका सब्र टूट गया और उन्होंने अपने सागो सा से पूछ ही लिया..:
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हुकम , ये अंडे तो अपनी जगह ठीक हैं, पर इनके दाता हुकम कहाँ हैं..!
...उनसे भी मुलाक़ात कराईये..!!

*ये होती है जोधपुरी तहजीब*
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. बीकानेरी सगो सा ने कहा हुकम  ओ बिना माईता रो  हैं।

*ये होता  बीकानेरी हाज़िर जवाबी

सोमवार, 9 जुलाई 2018

हूं नीं, जमर जोमां करसी

हूं नीं, जमर जोमां करसी!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

धाट धरा(अमरकोट अर आसै-पासै रो इलाको) सोढां अर देथां री दातारगी रै पाण चावी रैयी है।सोढै खींवरै री दातारगी नै जनमानस इतरो सनमान दियो कै पिछमांण में किणी पण जात में ब्याव होवो ,पण चंवरी री बखत 'खींवरो' गीत अवस ही गाईजैला-
कीरत विल़िया काहला,
दत विल़ियां दोढाह।
परणीजै सारी प्रिथी,
गाईजै सोढाह।।
तो देथां रै विषय में चावो है-
दूथियां हजारी बाज देथा।।
इणी देथां रो एक गांम मीठड़ियो।उठै अखजी देथा अर दलोजी देथा सपूत होया।अखजी रै  गरवोजी अर मानोजी नामक दो बेटा होया। मानोजी एक 'कागिये'(मेघवाल़ां री एक जात) में कीं रकम मांगता।गरीब मेघवाल़ सूं बखतसर रकम होई नीं सो मानोजी नै रीस आई ।वे गया अर लांठापै उण मेघवाल़ री एकाएक सांयढ आ कैय खोल लाया कै -"थारै कनै नाणो होवै जणै आ जाई  अर सांयढ ले जाई।"
थाकोड़ो(गरीब) आदमी हो सो रुपिया कठै?कीं जेज कल़पियो अर पछै हिम्मत करर गरवैजी देथा कनै गयो अर आपरा रोवणा रोयो तो साथै ई आमनो ई कियो कै -"थे म्हारी मदत नीं करोला तो कुण करैला?"
गरवोजी नै उण माथै दया आई।वे गया अर आपरै भाई मानैजी नै फटकारिया कै -काला!ओ आपांरो कारू मतलब आपांरो टाबर अर तूं इणरी सांयढ खोल लायो!तनै विचार नीं आयो कै ऐड़ी रिणी रुत(अकाल का समय)में ओ पइसा कठै सूं लावै?सो इणरो टंटेर पाछो दे।"
आ सुण मानजी कैयो कैयो कै -"ऐड़ी घणी कीरप आवै तो घर सूं छीजो।पइसा घर सूं देवो अर सांयढ ले जावो ।नीतर लूखो लाड अर घणी  खमा दरसावण री जरूत नीं।ऐ च्यारूं मारग ऊजल़ा है।जचै जकै जावो।"
इण बात सूं दोनूं भाइयां में असरचो(विवाद)
बधग्यो  अर अणबण होयगी।
वाद इतो बधग्यो कै एक-दूजै सूं अबोलणा रैवण लागा।
गरवैजी मिठड़ियो छोडण रो विचार कियो।जोग ऐड़ो बणियो कै चौमासै रो बखत हो।मेह वरसियो सो मीठड़िये सूं थोड़ो पाखती ,पाणी एक जागा भेल़ो होय धरती रै मांया जावणो लागो।गरवैजी देखियो कै पाणी कठै जावै।पतो लागो कै उठै एक तल़ो(कुओ) है। दरअसल उठै 'केसरिया' जातरै बामणां रै खिणायो 'केसड़ार' नामरो कुओ हो।गरवोजी आपरो घर अर आदमी लेय इण केसड़ार माथै आय बसिया।
धाट क्षेत्र पूरो अंग्रेजी सत्ता रै सीधो अधिकार में हो।अंग्रेजां इण केसड़ार रो पट्टो गरवैजी रै बेटे जुगतोजी नै 'जुगता -मकान ' रै नाम सूं दे दियो।
चारण मालधारी (गायां बगैरह) हा सो गोल़ बीजै जावता रैता अर ई भ्रम में रैता कै म्हांरी जमी माथै कुण अधिकार करै? सो जुगतोजी छाछरै कनै जाय बसिया।उठै ई उणांनै उण जमी रो पट्टो जुगता-मकान रै नाम सूं मिलग्यो।
जोग ऐड़ो बणियो कै उणी दिनां  छाछरै रै एक मेघवाल़ आय केसड़ार में  एक  खेत बावण लागो अर अठीनै धड़ैलै गांम रै  एक मुसल़मान सूनी जमी देख केसड़ार माथै कब्जो कर लियो   आय उण मेघवाल़ नै धमकायो कै -"म्हारो  तूं खेत किणनै पूछर बावै?"
उण मेघवाल़ खेत चारणां रै आजै(विश्वास) माथै बायो ।उण बिनां डरियां कैयो -"थारो किसो खेत ?तूं कुण है म्हनै पालणियो? म्है तो खेत चारणां रो बावूं। आ जमी जुगतैजी री।"
उण मुसल़मान कैयो कै -"कोई चारणां रो पट्टो नीं ,हमे पट्टो म्हारो है।छोड खेत।"
उण मेघवाल़ जाय चारणां नै कैयो कै -"फलाणै मुसल़मान केसड़ार माथै कब्जो कर लियो  अर म्हनै खेत बावण सूं रोकै।"
चारणां कैयो -"
जमी आपांरी ,कुण रोकै ?हाल।
चारणां आय मुसलमान नै कैयो -
"तूं कुण है ?अठै खेत मना करणियो?जमी म्हांरी!!"
मुसलमान चारणां नै सधरिया नीं अर लांठापै खेत जमी खोसी।
वाद बधियो।मुकदमो होयो अर पेशी पड़ण लागी।चारणां री तरफ सूं गवाह  छाछरै रा सोढा हरिसिंह अर   सालमसिंह ।
हाकम कैयो कै -"ऐ  कैय दे ला कै जमी चारणां री कदीमी तो जमी थांरी नी़तर मुसल़मान री।"
चारणां नै पतियारो हो कै पैली बात तो  राजपूत ,पछै सोढा! !
सो गवाह तो निपखी म्हांरै पख में ईज देवैला।
पण ओ उण चारणां रो भ्रम हो,माखण डूबो।सालमसिंह  मुसलमानां रै पख में ग  कूड़ी गवाह दी ।उण जीवती माखी गिटतै कैयो कै-
"आ जमी चारणां री नीं अपितु इण मुसल़मान री ईज है।चारणां कनै कठै जमी है?ऐ तो म्हांरै माथै निर्भर है,म्हांरी जमी में पड़िया है!!तो हरिसिंह कैयो कै जमी चारणां री कदीमी अर पट्टै सुदा पण-
पखां खेती पखां न्याव!
पखां हुवै बूढां रा ब्याव!!सालमसिंह प्रभाव वाल़ो आदमी हो ,उण फैसलो मुसलमान रै पख में कराय दियो।
पण चारण तो डोढ सूर बाजै।वे मरणो अर मारणो दोनूं तेवड़ै। सो
चारण इयां आपरी जमी कीकर छोडै देता?उणां धरणो दियो ।जमर री त्यारी होई पण जमर कुण करै?
धरणै-स्थल़ माथै बात चाली कै कोई हड़वेची होवै तो जमर करै!! उल्लेख जोग है कै हड़वेचां चारणां रो एक गांम जिणरी जाई नै महासगत देवलजी रो वरदान, कै वा अन्याय अर अत्याचारां रै खिलाफ  सत रुखाल़ जगत में नाम कमावैला।
मीठड़ियै रा देथा अमरोजी जिकै मानैजी रै बेटे रामचंद्रजी  रा बेटा हा।वे हड़वेचां परण्योड़ा तो हा ई साथै ई धरणै में भेल़ा हा।उणां री जोडायत रो नाम जोमां हो ,जिकै बारठ सुदरैजी री बेटी हा।उण दिनां जोमां सूं मिलण ,जोमां री मा आयोड़ी ही।किणी मसकरी करतै कैयो कै "अमरैजी री सासू हड़वेचां सूं आयोड़ा है!!सो वे जमर करैला । आं ई हड़वेचां रै तल़ै रो पाणी पीयो है।"
आ बात जद जोमां री मा सुणी तो उणां कैयो कै -"हूं हड़वेचां आई हूं जाई नीं!! जमर म्हारी डीकरी करसी ,वा ई उदर तो म्हारै में ई लिटी !! सो जमर हूं नीं  जोमां करैला।"
आ बात जद जोमां सुणी तो उणां कैयो कै -जमर हूं करूंली!!मेघवाल़  बारठां रो नीं, देथां रो है !!पछै
हड़वेची हूं ,हूं ,म्हारी मा नीं अर  अजेज उणां रा भंवरा तणग्या ,सीस रा बाल़ ऊभा होयग्या।उणां मेघवाल़ री जमी   अर जात रो माण राखण जोमां वि.सं. 1900 री चैत बदि दूज रै दिन जमर कियो।
जोमां झल़ झाल़ां में झूलती(स्नान) कैयो कै -सालमसिंह रा भीलै भिल़सी अर छाछरो हरिसिंह रै वल़सी( आना) आ ईज बात होई ।सोढै सालमसिंह री संतति जातभ्रष्ट होई अर छाछरै माथै हरिसिंह री संतति रो आभामंडल़ रैयो।उण मेघवाल़ री संतति  आज ई जोमां रै प्रति अगाध आस्था राखै तो
उण मुसलमान   रै घर री काल़ी होई।
जोमां रै जमर  रो सुजस कवियां सतोलै आखरां मांडियो-

धिनो धाट में रूप जोमां धिराणी।
जिकी राखियो जात रो माण जाणी।।
गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गुरुवार, 28 जून 2018

सीए


एक मारवाड़ी पिता अपनी बेटी के लिये लड़का देखने गया ।
उन्होंने ल़ड़के के पिता से पूछा –

“छोरो काई कर ह ?”
ल़ड़के का पिता – सीए ह।
उन्होंने पूछा – छोरा की बहन काई कर ह ?
लड़के का पिता – बा भी सीए ह ।
उन्होंने फिर पूछा –  छोरा की माँ काइ कर ह?

लड़के का पिता – बा भी सीए है ।

उन्होंने फिर पूछा – अरे वाह ! सब सीए ह,
मतलब थे भी सीए ही होंगा?
लड़के का पिता – ना ना… मैं तो घाघरा चोली
कटींग करू हूँ… ये सब लोग सीए है…

कठु लावना

जब मुंबई में बारिश हो तो लोग पूछते हे- खंडाला या लोनावला ?

वही जोधपुर में पानी रो दो छांटा ही पड़ जावे तो एक ही बात पूछे- कठु लावना ? जनता, खत्री या पचे सूर्या।।

शुक्रवार, 22 जून 2018

हाल ताई भीड़

दोपहर की चिलचिलाती धूप में गली से जा रहा था।।गली में सन्नाटा था ।। अचानक कुछ तुफानी करने की सुझी ।।

जोर से आवाज लगायी "आम्बा 10  रिपिया किलो" 

उण गली में हाल ताई भीड़ है
आम्बा वाळो कठीनै गियो‌।

रविवार, 17 जून 2018

भोड़की गढ़ और अंग्रेज़

सन 1803 में राजस्थान में जयपुर रियासत की ईस्ट इंडिया कम्पनी से मैत्रिक संधि व कुछ अन्य रियासतों द्वारा भी मराठों और पिंडारियों की लूट खसोट से तंग राजस्थान की रियासतों ने सन 1818ई में शांति की चाहत में अंग्रेजों से संधियां की| शेखावाटी के अर्ध-स्वतंत्र शासकों से भी अंग्रेजों ने जयपुर के माध्यम से संधि की कोशिशें की| लेकिन स्वतंत्र जीवन जीने के आदि शेखावाटी के शासकों पर इन संधियों की आड़ में शेखावाटी में अंग्रेजों का प्रवेश और हस्तक्षेप करने के चलते इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा| अंग्रेजों के दखल की नीति के चलते शेखावाटी के छोटे-छोटे शासकों ने अपने सामर्थ्य अनुसार अंग्रेजों का विरोध किया और अग्रेजों के साथ खूनी लड़ाईयां भी लड़ी| बिसाऊ के ठाकुर श्यामसिंह व मंडावा के ठाकुर ज्ञान सिंह अंग्रेजों की खिलाफत करने वाले शेखावाटी के प्रथम व्यक्ति थे| इन दोनों ठाकुरों ने वि.सं.1868 में पंजाब के महाराजा रणजीतसिंह की सहातार्थ अंग्रेजों के खिलाफ अपनी सेनाएं भेजी थी|

चित्र प्रतीकात्मक है|
अमर सिंह शेखावत (भोजराज जी का) ने बहल पर अधिकार कर लिया था, उसकी मृत्यु के बाद कानसिंह ने वहां की गद्दी संभाली और बहल पर अपना अधिकार जमाये रखने के लिए ददरेवा के सूरजमल राठौड़, श्यामसिंह बिसाऊ, संपत सिंह शेखावत, आदि के साथ अपनी स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के साथ संघर्ष जारी रखा, प्रचलित जनश्रुतियों के अनुसार इनके नेतृत्व में तीन हजार भोजराज जी का शाखा के शेखावत अंग्रेजों से लड़ने पहुँच गए थे| इनके साथ ही शेखावाटी के विभिन्न शासकों अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उतर आये थे, जो अंग्रेज व अंग्रेजों से संधि किये शासकों द्वारा शासित प्रदेशों में अक्सर धावे डालकर लूटपाट करते| ये क्रांतिकारी अक्सर अंग्रेजों की सैनिक छावनियां लूटकर अंग्रेज सत्ता को चुनौती देते| अंग्रेजों ने इनकी गतिविधियों की अंकुश लगाने के लिए राजस्थान की देशी रियासतों के माध्यम से भसक कोशिश की पर ये क्रांतिकारी जयपुर, बीकानेर, जोधपुर किसी भी रियासत के वश में नहीं थे|

आखिर अंग्रेजों ने शेखावाटी के इन क्रांतिवीरों के दमन के लिए जिन्हें अंग्रेज लूटेरे व डाकू कहते थे, शेखावाटी ब्रिगेड की स्थापना की| जिसका मुख्यालय झुंझनु रखा गया और मेजर फोरेस्टर को इसका नेतृत्त्व सौंपा गया| मेजर फोरेस्टर ने शेखावाटी के सीमावर्ती उन किलों को तोड़ना शुरू किया, जिनमें ये क्रांतिकारी अक्सर छुपने के लिए इस्तेमाल करते थे| मेजर की इस कार्यवाही में अक्सर शेखावाटी के क्रांतिकारियों की शेखावाटी ब्रिगेड से झड़पें हो जाया करती थी| इस ब्रिगेड में भर्ती हुये शेखावाटी के ठाकुर डूंगरसिंह व जवाहर सिंह, पटोदा ने ब्रिगेड के ऊंट-घोड़े व हथियार लेकर विद्रोह कर दिया था| गुडा के क्रांतिकारी दुल्हेसिंह शेखावत शेखावाटी ब्रिगेड के साथ एक झड़प में शहीद हो गए| मेजर फोरेस्टर ने उनका सिर कटवाकर झुंझनु में लटका दिया, ताकि अन्य क्रान्ति की चाह रखने वाले भयभीत हो सकें| लेकिन एक साहसी क्रांतिकारी खांगा मीणा रात में उनका सिर उतार लाया और मेजर फोरेस्टर की सेना देखती रह गई|

मेजर फोरेस्टर ने गुमानसिंह, शेखावत, टाई जो वि.सं. 1890 में भोड़की चले गए थे, के प्रपोत्र रामसिंह को सजा देने के लिए भोड़की गढ़ को तोड़ने के लिए तोपखाने सहित आक्रमण किया| इससे पूर्व जी रामसिंह तथा उनके भाई बेटे पकड़े जा चुके थे| अत: मेजर फोरेस्टर का मुकाबला करने के लिए रामसिंह की ठकुरानी ने तैयारी की| ठकुरानी के आव्हान पर भोड़की की सभी राजपुतानियाँ मरने के लिए तैयारी हो गई और भोड़की गढ़ में तलवारें लेकर मुकाबले को आ डटी|

राजपुतानियों के हाथों में नंगी तलवारें और युद्ध कर वीरता दिखाने के उत्साह व अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देने की ललक देख मेजर फोरेस्टर ने बिना गढ़ तोड़े ही अपनी सेना को वहां से हटा लिया| इस तरह राजपूत नारियों के साहस, दृढ़ता के आगे अपनी कठोरता के लिए इतिहास में प्रसिद्ध मेजर फोरेस्टर को भी युद्ध का मैदान छोड़ना पड़ा|

मंगलवार, 22 मई 2018

म्हांनै तो अपणास चाहीजै!!

म्हांनै तो अपणास चाहीजै!!

बीजी वुस्तां सूं म्हांरै की लैणो,
म्हांनै तो अपणास चाहीजै।
अंतस में हद घोर अंधारो,
दूर करण प्रकाश चाहीजै!!

दपट्योड़ी पांखड़ियां खोलण अर पसरावण,
मनड़ै नै सरसावण यूं
उनमुक्त उडण आकाश चाहीजै!!

जीवण जितरै सीवण भाई,
इसड़ी जुगत सीखने यूं!
लूखी-सूकी है जिसड़ी में
सुख री सोरी सास चाहीजै!!

हीमत हिरदै पांण पिंड सूं,भाखर धोरा सह चींथण
उर में उमंग जंग नै जीतण,
खुद पर खुद विश्वास चाहीजै!!

एकलियो रैयां सूं भाई,ऊंच-नीच नीं भान पड़ैलो!
जग रा जाल़ समझवा ओ तो जैड़ो तैड़ो बास चाहीजै!!

फूंफाड़ा करता ई आया और भल़ै खुरदाल़ी करवै
टोरण नै बल़धां आ तो हाथां सबल़ां रास चाहीजै!!

सीधो सरल़ रैयां तो धूत हमेशा ठगता जासी!
बण थोड़ो बांको आंको डोल़ बतावण देवण नै उकरांस चाहीजै!!

मन बागां रा हरियल़ पानां झड़ -झड़ देखो सह झड़िया!
स्नेह  बांट कूंपल़ियां सारी विगसण नै मधुमास चाहीजै!!

अबखी में  जण -जण रो मूंडो ताक्यां की होसी?
भांगण नै भैती कर हैती मानणियो दरखास चाहीजै!!
गिरधरदान रतनू दासोड़ी